पुणे. कोरोना महामारी की तीसरी लहर की चिंता के बीच पुणे के सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) ने खुशखबरी दी है। एसआईआई (Serum Institute of India) ने कहा कि जल्द ही छोटे बच्चों पर कोवोवैक्स वैक्सीन (Novavax Vaccine) का परीक्षण (Trial) किया जाएगा। संभावना है कि कंपनी जल्द ही अनुमति के लिए ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) के पास आवेदन करेगी। परीक्षण का तीसरा चरण जो 18 वर्ष से अधिक आयु के लोगों पर किया जा रहा है, 18 जून से शुरू हो गया है।
ज्ञात हो कि नोवावैक्स ने सितंबर 2020 में घोषणा की कि वह सीरम इंस्टीट्यूट के साथ टीकों का उत्पादन करेगा। यह दोनों कंपनियों द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक वैक्सीन है। सीरम इंस्टीट्यूट द्वारा तैयार की जा रही यह दूसरी कोरोना वैक्सीन है। सीरम इंस्टीट्यूट वर्तमान में ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के साथ कोविशील्ड वैक्सीन का उत्पादन कर रहा है। सिरम इंस्टीट्यूट के सीईओ अदार पूनावाला ने इस बारे में किये ट्वीट में कहा कि कि हम एक नए चरण में पहुंच गए हैं। इस सप्ताह हमने कोवोवैक्स वैक्सीन का पहला बैच बनाना शुरू किया। पुणे में हमारी कंपनी में निर्मित कोवावैक्स वैक्सीन के पहले बैच को देखने के लिए उत्सुक हूं। इस टीके में 18 वर्ष से कम उम्र की भावी पीढ़ियों की रक्षा करने की क्षमता है।
Excited to witness the first batch of Covovax (developed by @Novavax) being manufactured this week at our facility in Pune. The vaccine has great potential to protect our future generations below the age of 18. Trials are ongoing. Well done team @seruminstindia! pic.twitter.com/K4YzY6o73A
— Adar Poonawalla (@adarpoonawalla) June 25, 2021
तीसरे चरण के परीक्षण के परिणाम अच्छे
बताया जा रहा है कि प्रारंभ में 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों का टीके के लिए परीक्षण किया जाएगा। अगले चरण में 12 साल से कम उम्र के बच्चों का परीक्षण किया जाएगा। खास बात यह है कि भारत बायोटेक कंपनी ने छोटे बच्चों पर कोवासिन वैक्सीन का परीक्षण भी शुरू कर दिया है। फाइजर के टीके वर्तमान में दुनिया भर के कई देशों में 12 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को दिए जा रहे हैं। नोवावैक्स कंपनी ने इस महीने की शुरुआत में घोषणा की थी कि कोवावैक्स वैक्सीन के तीसरे चरण के परीक्षण के परिणाम अच्छे थे। परीक्षण संयुक्त राज्य अमेरिका और मैक्सिको में 119 स्थानों पर किए गए थे। इन परीक्षणों में 29 हजार 960 लोगों ने भाग लिया। परीक्षणों के बाद प्राप्त आंकड़ों के अनुसार, टीका 90.4 प्रतिशत प्रभावी है। कुछ दिन पहले नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के पॉल ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि अब तक उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार यह टीका सुरक्षित और प्रभावी है।