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  • 14 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी का मामला
  • आर्थिक अपराध शाखा की कार्रवाई
  • राष्ट्रवादी कांग्रेस की पूर्व नगरसेविका का पुत्र है उद्यमी

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पिंपरी. उद्योगनगरी पिंपरी-चिंचवड़ के औद्योगिक और सियासी गलियारों में तब खलबली मच गई जब यहां के एक जाने-माने उद्योगपति को मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. रविराज विकास ताकवणे ऐसा गिरफ्तार किए गए उद्योगपति का नाम है. उस पर आरोप है कि उन्होंने एमआईडीसी में 27 एकड़ जमीन की खरीद- फरोख्त के व्यवहार में करीबन 14 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी की है. शनिवार को मुंबई की एक अदालत ने रविराज को 2 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजने का आदेश दिया है.

रविराज पिंपरी-चिंचवड़ के नामी उद्योगपति विकास उर्फ आबा ताकवणे और राष्ट्रवादी कांग्रेस की भूतपूर्व नगरसेविका नंदा ताकवणे के पुत्र हैं. वे सिद्धेश्वर इंडस्ट्रीज के मालिक हैं और उनका कारोबार पिंपरी-चिंचवड़ समेत पुणे जिले और औरंगाबाद तक फैला हुआ है. उनके खिलाफ मुंबई के मलबार हिल निवासी श्रीप्रकाश विजयकुमार सरदेसाई ने मलबार हिल पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई है. बाद में यह मामला मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा को सौंपा गया. मामले की छानबीन के बाद आर्थिक अपराध शाखा ने शुक्रवार को लोनावला से रविराज ताकवणे को गिरफ्तार कर लिया. 

27 एकड़ जमीन हड़पने का मामला

सरदेसाई परिवार की पार्टनशिप में सरदेसाई एंड कंपनी थी. इस कंपनी ने 1965 में पिंपरी-चिंचवड एमआईडीसी प्लॉट नं.3 ए (7077 वर्ग मीटर),प्लॉट नं. 3 पार्ट (11600 वर्ग मीटर और 53104 वर्ग मीटर), प्लॉट नं. 3 बी (33534 वर्ग मीटर) कुल मिलाकर एक लाख पांच हजार 315 वर्ग मीटर यानी 27 एकड़ जमीन ली थी. यह जमीन एमआईडीसी से हस्तांतरित की गई है. कंपनी के मूल मालिक विनायक सरदेसाई के निधन के बाद उनके पुत्र उनकी संपत्ति के वारिसदार हैं. वे सभी विदेश में रहने से उन्होंने ये जमीन बेचने का फैसला किया. उसके लिए उन्होंने रविराज ताकवणे के साथ सौदा हुआ. ताकवणे ने 27 एकड़ जमीन के बदले ने साढ़े 14 करोड़ रुपए देना तय किया. 

साढ़े 14 करोड़ की बजाय दिए सिर्फ 59 लाख

जमीन के इस सौदे के लिए ताकवणे और सरदेसाई के बीच 5 मई 2019 को एक एमओयू हस्ताक्षर किया गया. इसमें जमीन के बदले में साढ़े 14 करोड़ रुपए चरणबद्ध तरीके से देने की बात तय की गई. इसके अनुसार ताकवणे को कंपनी की तरफ से जमीन की डील के लिए पावर ऑफ एटर्नी दी गई. परोक्ष में ताकवने ने 59 लाख रुपए ही दिए बचे हुए 13 करोड़ 91 लाख रुपए नहीं चुकाए. यह राशि देने में रविराज लगातार टालमटोल करते रहे. यही नहीं उसने पॉवर ऑफ एटर्नी का दुरुपयोग कर उक्त जमीन के प्लॉट बनाकर उनकी बिक्री कर दी. दाल में कुछ काला है, यह ध्यान में आने के बाद सरदेसाई ने यहां आकर परोक्ष मुआयना किया तब उनकी तसल्ली हो गई कि ताकवणे ने उनके साथ धोखाधड़ी की. 

नकली हस्ताक्षर से किये शेयर्स ट्रांसफर

रविराज ताकवणे ने अपने रिश्तेदार महादेव जगताप, मुकुंद निम्हण, अमृता ताकवणे, श्रध्दा ताकवणे, गौरव गीते यांना को इस कंपनी में पार्टनर बनाया. उसी समय सरदेसाई परिवार के अमरनाथ, उषामंजिरी अदवंत, जयंत अदवंत को दरकिनार कर दिया. सरदेसाई परिवार के शेयर्स ट्रान्स्फर करने के लिए कोई अनुबंध न करते हुए शेयर्स ट्रन्स्फर फॉर्म पर फर्जी हस्ताक्षर किया. कंपनी के नाम पर रही जमीन को परस्पर सबलीज पर देना तय कर 13 करोड़ 91 लाख रुपए का गबन किया. सरदेसाई की इस शिकायत के आधार पर मलबार हिल पुलिस ने ताकवणे और अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया. बाद में इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी गई.

पुलिस पर सियासी दबाव बनाने की कोशिश

इस बारे में जानकारी देते हुए सरदेसाई के वकील अखिलेश चौबे ने बताया कि साढ़े 14 करोड़ रुपये की इस डील को ताकवणे ने पूरा नहीं किया. एमओयू में जैसा तय किया गया था वैसे पैसे नहीं दिए. यही नहीं सरदेसाई के नकली हस्ताक्षर कर 20 फीसदी शेयर्स रविराज ताकवणे ने परस्पर अपने नाम कर किये. कंपनी की जमीन को सबलीज कर नौ करोड़ रुपए जुटाए. इस बारे में 24 सितंबर को आर्थिक अपराध शाखा ने मामला दर्ज किया. ताकवणे ने इस मामले में सियासी दबाव बनाने की कोशिश की जिसकी वजह से इसकी जांच लंबित पड़ी रही. अब उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है और अदालत ने उन्हें 2 दिन की पुलिस कस्टडी में भेजने का आदेश दिया है.