अनुसंधानात्मक कार्य से जल्द दिखेंगी अंगूर की नई किस्में

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पुणे. अंगूर उत्पादन में अनुसंधान कर नई-नई किस्में खोजने, अंगूर उत्पादकों को मार्गदर्शन करने तथा फसलों में सुधार के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के तहत पुणे में राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र चलाया जाता है. इस केंद्र के माध्यम से चल रहे अनुसंधानात्मक कार्य के चलते जल्द ही अंगूर की कुछ नयी और उन्नत किस्में दिखाई देंगी, ऐसा विश्वास राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र पुणे के बागवानी महानिदेशक डॉ. एन. के. सिंह जताया.

अंगूर की फसलों के संदर्भ में अपनी संस्था के अनुसंधानात्मक कार्य पर बोलते हुए डॉ. एन. के. सिंह ने बताया कि 1996 से राष्ट्रीय राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र पुणे के मांजरी परिसर में कार्यरत है. आज तक इस केंद्र के माध्यम से देश में अंगूर की किस्मों पर अनुसंधान कर नई-नई किस्में इजाद करने, अंगूर की फसलों में सुधार लाने और इसके उत्पादकों को मार्गदर्शन देने के लिए यह केंद्र कार्यरत है और इस कार्य में केंद्र ने अब तक काफी सफलता हासिल की है.

अनुसंधान पर कार्य हो रहा

उन्होंने बताया कि अंगूर की नई-नई किस्मों के अनुसंधान पर यहां कार्य हो रहा है, जिससे आगामी वर्षों में कई आधुनिक किस्मे जैसे, सफेद किस्म मांजरी, नई और काली बीज रहित किस्म मांजरी श्यामा, रस किस्म मांजरी मेडिका और किशमिश किस्म मांजरी अंगूर उत्पादकों के बागों में सफलतापूर्वक उगती मिलेंगी. इन नई किस्मों के अंगूरों में किट और रोगों से लड़ने की अधिक शक्ति होगी और उत्पादन भी पहले से ज्यादा होगा, जिससे उत्पादकों के जीवन में खुशहाली आएगी. 

अंगूर उत्पादन में काफी वृद्धि हुई

डॉ. सिंह ने बताया कि इस केंद्र के माध्यम से अंगूर उत्पादन के संदर्भ में विस्तार से जानकारी दी जाती है. इसके लिए केंद्र की वेबसाइट पर अंगूर उत्पादन और कीट-रोगों से बचने के संदर्भ में विस्तार से जानकारी दी गई है. राष्ट्रीय अंगूर अनुसंधान केंद्र के चलते देश में अंगूर उत्पादन में काफी वृद्धि हुई है. देश में 1991 में अंगूर की फसल केवल 32.4 हजार हेक्टेयर पर होती थी, लेकिन इस केंद्र के माध्यम से चलाए गए उपक्रमों के चलते आज देश में करीब 139 हजार हेक्टेयर पर अंगूर का उत्पादन होता आहे. इस तरह से देश को अंगूर उत्पादन में स्वयंपूर्ण बनाने के संदर्भ में इस केंद्र की ओर से अब तक बेहतरीन काम किया गया है. इस अनुसंधानात्मक कार्य के चलते देश में अंगूर के उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई है, ऐसी जानकारी डॉ. सिंह ने दी.