Today is Karva Chauth, know the auspicious time of worship - rules and stories

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-सीमा कुमारी 

आज करवा चौथ है. जो हिन्दू सुहागिन महिलाओं  का एक पवित्र त्यौहार है. इस त्यौहार में महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु एवं अच्छी सेहत के लिए पूरे दिन निर्जला व्रत रखती  हैं और शाम को चांद के उदय के बाद अपने पति के हाथ से पानी पीकर व्रत को तोड़ती है.  इस त्यौहार में महिलाएं करवा चौथ का व्रत पूरी विधि -विधान के साथ एवं सोलह श्रृंगार कर व्रत करती है.  इस व्रत में शिव परिवार सहित चंद्र देवता की भी पूजा की जाती है.

करवा चौथ पूजा का शुभ-मुहर्त:

संध्या पूजा का शुभ मुहूर्त 4 नवंबर (बुधवार)- शाम 05 बजकर 34 मिनट से शाम 06 बजकर 52 मिनट तक. कहा जा रहा है कि चंद्रोदय शाम 7 बजकर 57 मिनट पर होगा.

करवा चौथ के नियम:

  • इस व्रत में सरगी खाने की परंपरा एवं नियम है सरगी व्रत के शुरू में सुबह दी जाती है . एक तरह से यह आपको व्रत के लिए दिनभर ऊर्जा देती.  
  • इस व्रत में महिलाओं को पूरा श्रृंगार करना चाहिए . इस व्रत में महिलाएं को मेहंदी से लेकर सोलह श्रृंगार करने चाहिए.
  • इस व्रत में मिट्टी के करवे लिए जाते हैं और उनसे पूजा की जाती है . इसके अलावा करवा चौथ माता की कथा सुनना भी बहुत जरूरी होती है.
  • पूजा के बाद चंद्रमा को छलनी से ही देखा जाता है और उसके बाद पति को भी उसी छलनी से देखते हैं.
  • इस दिन महिलाये भगवान शिव, गणेश, माता पार्वती और कार्तिकेय सहित नंदी जी की भी पूजा करती है.
  • करवा चौथ का व्रत चंद्रमा के आने तक रखा जाता है  उसके बाद व्रत को पति के हाथ से पानी पीकर व्रत खोला जाता है. लेकिन इसके पहले निर्जला व्रत रखा जाता है.  

करवा चौथ की कथा:  

एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी .सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी और उसे सभी भाई जान से बढ़कर प्रेम करते थे. कुछ समय बाद वीरावती का विवाह किसी ब्राह्मण युवक से हो गया. विवाह के बाद वीरावती मायके आई और फिर उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी. सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है.

लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है .वीरावती की ये हालत उसके भाइयों से देखी नहीं गई और फिर एक भाई ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है. दूर से देखने पर वह ऐसा लगा की चांद निकल आया है. फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो. बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ गई.उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई. दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया.

इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया.उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ. करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं. एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की. देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा. इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा. उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया. इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा.