Competition to contest Parashuram more than Ram now in political parties of UP
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    -सीमा कुमारी

    हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को ‘परशुराम जयंती’ यानी ‘परशुराम जन्मोत्सव’ मनाया जाता है। इसके साथ, इस दिन ‘अक्षय तृतीया’ भी है। इस साल ‘अक्षय तृतीया’ (Akshaya Tritiya 2021) और ‘परशुराम जयंती’ दोनों ही 14 मई शुक्रवार को है। यह त्यौहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार, इस दिन लोग व्रत रखते हैं और ब्राह्मणों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना भी की जाती है। भगवान परशुराम जी की भव्य शोभायात्राएं निकाली जाती हैं। आइए जानें शुभ- मुहूर्त और पूजा विधि…

    शुभ मुहूर्त-

    वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि आरंभ- 14 मई 2021 दिन शुक्रवार सुबह 05 बजकर 40 मिनट पर

    वैशाख शुक्ल पक्ष तृतीया तिथि समाप्त- 15 मई 2021 दिन शनिवार सुबह 08 बजे

    पूजा विधि-

    • पारंपरिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सूर्योदय से पहले स्नान करना शुभ माना जाता है।
    • यदि नदी पर नहीं जा सकते हैं, तो घर पर ही स्नान करने के बाद साफ-सुथरे वस्त्र धारण करें। 
    • इसके बाद धूप-दीप जलाएं और व्रत का संकल्प करें।
    • परशुराम, भगवान विष्णु के अवतार हैं। इसलिए विष्णु जी को चंदन, तुलसी के पत्ते, कुमकुम, अगरबत्ती, फूल और मिठाई अर्पित कर विधिवत उनकी पूजा करें।
    • चाहें तो किसी मंदिर में जाकर भगवान परशुराम का दर्शन और पूजा अर्चना करें।
    • इस दिन व्रत धारियों को किसी भी प्रकार के अनाज का सेवन नहीं करना चाहिए।

    ‘परशुराम जन्मोत्सव’ का महत्व-

    हिन्दू धर्म में ‘परशुराम जयंती’ का बड़ा महत्व है। शास्त्रों के मुताबिक, परशुराम जी, भगवान विष्णु के छठे अवतार हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, परशुराम जी एक मात्र ऐसे अवतार हैं, जो आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं। दक्षिण भारत के उडुपी के पास परशुराम जी का बड़ा मंदिर है। ‘कल्कि पुराण’ के अनुसार, जब कलयुग में भगवान विष्णु के 10वें अवतार कल्कि अवतरित होंगे, तो परशुराम जी ही उनको अस्त्र-शस्त्र में पारंगत करेंगे। भगवान राम से भेंट के बाद परशुराम जी भगवान विष्णु के अन्य अवतारों से मिलेंगे।