कब है ‘आमलकी एकादशी? जानें शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और महत्व

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    -सीमा कुमारी

    हिन्दू धर्म में ‘आमलकी एकादशी व्रत’ (Amalaki Ekadashi fast) का विशेष महत्व है, जो हर साल फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि के दिन रखा जाता है। इस साल यह विशेष व्रत 25 मार्च को है। शास्त्रों के अनुसार, इस दिन जगत के पालनहार भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। साथ ही आंवले के पेड़ की भी पूजा जाती है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी श्रद्धालु ‘आमलकी एकादशी’ का व्रत भक्ति-भाव से करता है, उसकी सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, और व्यक्ति के सभी दुख दूर हो जाते हैं।  

    ‘पद्म पुराण’ के अनुसार, आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। आंवले के वृक्ष में श्री हरि एवं लक्ष्मी जी का वास होता है। आंवले के वृक्ष में भगवान विष्णु का वास होने की वजह से उसी के नीचे भगवान की पूजन की जाती है। यही ‘आमलकी एकादशी’ कहलाती है। इस दिन आंवले का उबटन, आंवले के जल से स्नान, आंवला पूजन, आंवले का भोजन और आंवले का दान करना चाहिए। चलिए जानते हैं इसका शुभ मुहर्त और पूजा विधि…

    मुहूर्त- 

    • एकादशी तिथि का प्रारंभ – 24 मार्च को सुबह 10 बजकर 23 मिनट से
    • एकादशी तिथि समाप्त – 25 मार्च को 09 सुबह 47 मिनट तक
    • एकादशी व्रत पारण का समय – 26 मार्च को सुबह 06:18 बजे से 08:21 बजे तक

    पूजा विधि –
    ‘आमलकी एकादशी’ में आंवले का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूजन से लेकर भोजन तक हर कार्य में आंवले का उपयोग किया जाता है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन सुबह उठकर भगवान विष्णु का ध्यान कर व्रत का संकल्प करना चाहिए। व्रत का संकल्प लेने के बाद स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। घी का दीपक जलकार ‘विष्णु सहस्रनाम’ का पाठ करें।

    पूजा के बाद आंवले के वृक्ष के नीचे नवरत्न -युक्त कलश स्थापित करना चाहिए। अगर आंवले का वृक्ष उपलब्ध नहीं हो, तो आंवले का फल भगवान विष्णु को प्रसाद स्वरूप अर्पित करें। आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत आदि से पूजन कर उसके नीचे किसी गरीब, जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए। अगले दिन स्नान कर भगवान विष्णु के पूजन के बाद किसी गरीब, ज़रूरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को कलश, वस्त्र और आंवला आदि दान करना चाहिए। इसके बाद भोजन ग्रहण कर व्रत तोड़ना चाहिए।

    महत्व-
    धार्मिक शास्त्र के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि सृष्टि की रचना के समय भगवान विष्णु ने आंवले को पेड़ के रूप में प्रतिष्ठित किया था। इसलिए आंवले के पेड़ में ईश्वर का स्थान माना गया है। ‘आमलकी एकादशी’ के दिन आंवले के वृक्ष के नीचे बैठकर भगवान विष्णु का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से मोक्ष की प्राप्ति होती है।