कब है इस महीने ‘प्रदोष व्रत’, जानें शुभ मुहूर्त, पूजा-विधि और महत्व

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    सनातन हिंदू धर्म में ‘प्रदोष व्रत’ का विशेष महत्व है। पंचांग के अनुसार, हर महीने की त्रयोदशी तिथि को ‘प्रदोष व्रत’ (Pradosh vrat) आता है। ‘प्रदोष व्रत’ महीने में दो बार रखा जाता है। मान्यताएं हैं कि प्रदोष काल में भगवान शिव कैलाश पर्वत पर नृत्य करते हैं और देवतागण उनका गुणगान करते हैं। कहा तो ये भी  जाता है कि ‘प्रदोष व्रत’ रखने और भगवान शिव की विधि-विधान से पूजा करने से भक्त के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।  

    चैत्र महीने में कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि यानी, इस महीने का पहला प्रदोष व्रत 9 अप्रैल, शुक्रवार को है। शास्त्रों के अनुसार,  इस दिन निर्मल हृदय से भगवान शिव की पूजा करने से जीवन के समस्त कष्ट दूर होते हैं और सुख सौभाग्य में वृद्धि होती है। प्रदोष व्रत की पूजा सदैव प्रदोष काल यानी, शाम के समय में की जाती है। आईए जानें ‘प्रदोष-व्रत’ की महिमा, शुभ मुहूर्त और पूजा विधि…

    शुभ मुहूर्त-

    • चैत्र कृष्ण त्रयोदशी तिथि आरंभ- 9 अप्रैल 2021 दिन शुक्रवार प्रातः 03 बजकर 15 मिनट से
    • त्रयोदशी तिथि समाप्त- 10 अप्रैल 2021 दिन शनिवार प्रातः 04 बजकर 27 मिनट पर
    • प्रदोष व्रत पूजा का समय- 09 अप्रैल को शाम 05 बजकर 55 मिनट से लेकर 08 बजकर 12 मिनट तक पूजा की
    • कुल अवधि- 02 घंटा 17 मिनट

    पूजा विधि-

    ‘प्रदोष व्रत’ में प्रातःकाल पूजा तो की ही जाती है इसके अलावा शाम के समय पूजन करने का विशेष प्रावधान है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करके निवृत्त हो जाएं। ‘प्रदोष-व्रत’ के दिन ब्रह्मचर्य का पालन जरूर करना चाहिए। भगवान शिव को प्रणाम करें और धूप दीप जलाएं इसके बाद व्रत का संकल्प करें।

    पूरे दिन व्रत करने के बाद प्रदोष-काल में विधि-विधान से शिव जी की पूजन आरंभ करें। भगवान शिव की प्रतिमा अथवा मंदिर जाकर शिवलिंग के सामने धूप, दीप प्रज्वलित करें।

    इसके बाद शिव जी को फूल और नैवेद्य अर्पित करें। शिव जी का जल और पंचामृत से अभिषेक करें। पूजा पूर्ण होने पर आरती करें।

    महिमा-

    शास्त्रों के अनुसार, जो भी भक्त ‘प्रदोष-व्रत’ रखते हैं, उनको भगवान शिव की कृपा से सुख, समृद्धि निरोगी जीवन, संतान सुख आदि का आशीष प्राप्त होता है। इस बार त्रयोदशी तिथि शुक्रवार को पड़ने के कारण यह ‘शुक्र प्रदोष-व्रत’ कहलाएगा।

    अलग-अलग दिनों पर ‘प्रदोष-व्रत’ का फल उसी के अनुसार प्राप्त होता है। ‘शुक्र प्रदोष-व्रत’ करने से सुख सौभाग्य की प्राप्ति होती है। भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से दांपत्य जीवन में खुशहाली आती है। यह व्रत बहुत ही मंगलकारी और मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाला माना गया है। 

    -सीमा कुमारी