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बीजेपी को उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर के अलावा उत्तरप्रदेश में अपनी सत्ता कायम रखने की चुनौती है.

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    देश के 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव एक तरह से 2024 में होनेवाले आम चुनाव के लिए रोडमैप तैयार करेंगे. यह ऐसा सेमीफाइनल होगा जो दिखा देगा कि किस राजनीतिक दल में कितना दम है और जनता के बीच उसकी कितनी पैठ है. बीजेपी को उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर के अलावा उत्तरप्रदेश में अपनी सत्ता कायम रखने की चुनौती है. यदि वह यूपी जैसे बड़ेसीटें हैं. बीजेपी का सर्वाधिक ध्यान वहीं रहेगा जहां पिछले 20 वर्षों से कोई पार्टी एक टर्म के बाद दूसरी बार चुनाव नहीं जीत पाई.

    2014  प्रदेश में मैदान मार लेती है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में अपनी जीत के प्रति आश्वस्त हो सकती है. यूपी में 403 विधानसभा सीटें और 80 लोकसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी की सफलता में यूपी का बड़ा योगदान रहा. प्रधानमंत्री मोदी ने खुद गुजरात की बजाय यूपी के वाराणसी से लोकसभा चुनाव लड़ना पसंद किया था क्योंकि गुजरात में सिर्फ 20 लोकसभा सीटें है और यूपी में 80. देश के अधिकांश प्रधानमंत्री यूपी से ही बने. इस राज्य में यदि बीजेपी पुन: जीतेगी तो केंद्र में मोदी के नेतृत्व को मजबूती मिलेगी. 

    योगी की मजबुत स्थिति

    यूपी में मुख्य मुकाबला बीजेपी और सपा के बीच माना जाता है. इसमें बंगाल चुनाव के समान ही मोदी प्रचार में पूरी ताकत लगा देंगे. अपने विरोधियों की तुलना में बीजेपी अधिक संगठित और ताकतवर नजर आती है. कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने तथा हिंदुत्व विचारधारा को आगे बढ़ाने से राज्य की राजनीति का ध्रुवीकरण हो गया है. राम मंदिर निर्माण तथा कल्याणकारी कदमों का जनता पर असर पड़ा है. 2017 में बीजेपी ने योगी को मुख्यमंत्री के तौर पर पेश नहीं किया था लेकिन इस समय वह उन्हीं पर निर्भर है. प्रधानमंत्री मोदी ने भी योगी को ‘बहुउपयोगी’ बताया है.

    2017 के विधानसभा चुनाव में उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त गैस कनेक्शन ने गरीब गृहिणियों का दिल जीता था तो इस समय गरीबी रेखा से नीचे रहनेवाले परिवारों को कोरोना काल में मुफ्त राशन दिया जाना बीजेपी के पक्ष में जा सकता है. प्रियंका के नेतृत्व में कांग्रेस भी अपनी किस्मत आजमा रही है. देखना होगा कि ‘लड़की हूं, लड़ सकती हूं’ का उनका नारा कितना असर दिखाता है.

    पंजाब में 3 दलों का गठजोड़

    पंजाब में बीजेपी ने 3 पार्टियों का गठजोड़ बनाया है जिसमें पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह का गुट और सुखदेव सिंह ढींढसा का शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) शामिल है. प्रधानमंत्री मोदी की पंजाब यात्रा के समय सुरक्षा में सेंध की वजह से बीजेपी को लगता है कि शहरी हिंदू मतदाता उसके साथ आएंगे. वहा भी कैप्टन अमरिंदर सिंह कम से कम आधी सीटों के लिए दावा करेंगे. कांग्रेस के मुख्यमंत्री चन्नी और प्रदेश अध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू के बीच खींचतान जारी है.

    उत्तराखंड में बीजेपी तेजी से मुख्यमंत्री बदलती रही है. वहां कांग्रेस अपनी जीत की संभावना देख रही है, जबकि बीजेपी को उम्मीद हैं कि मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब होंगे. गोवा में पार्टियों की बहुतायत है. यहां बीजेपी, कांग्रेस, एनसीपी, शिवसेना जैसे 4 राष्ट्रीय दलों के अलावा 8 क्षेत्रीय पार्टियां हैं. इसके अलावा ममता बनर्जी की टीएमसी और केजरीवाल की ‘आप’ भी वहां किस्मत आजमाएंगी.

    असम और केरल गंवा देने के बाद अब कांग्रेस उत्तराखंड, पंजाब व गोवा में ‘करो या मरो’ की भूमिका में आ जाएगी जबकि गोवा में पर्रिकर का अभाव बीजेपी को बहुत खलेगा.  प्रमोद सावंत की बीजेपी सरकार पर भर्ती घोटाले, मंत्री के सेक्स स्कैंडल के आरोप हैं. गोवा की राजनीति में दलबदल कोई नई बात नहीं है. कोरोना प्रोटोकाल के तहत होनेवाले चुनाव में राजनीतिक दलों को प्रचार भी संतुलित रखना होगा.