नया कानून आने के बाद कोई सरकार नहीं दे पाएगी मुफ्त बिजली

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    आम तौर पर विभिन्न पार्टियां किसानों को मुफ्त बिजली देने का चुनावी वादा करती हैं. किसान भी तत्परता से बिजली बिल इसलिए अदा नहीं करते क्योंकि उन्हें उम्मीद रहती है कि नई सरकार आने पर बिजली बिल माफ कर देगी. यह सिलसिला विभिन्न राज्यों में चला आ रहा है. इससे सरकार को राजस्व का नुकसान होता है और जहां मुफ्त बिजली है वहां किसान दिन-रात सिंचाई पम्प चलाकर इतनी अधिक फसल पैदा कर लेते हैं कि सरकार खरीदना नहीं चाहती.

    अभी केंद्र के पास गेहूं के बफर स्टाक से भी दोगुना भंडारण हो गया है फिर वह नई फसल खरीदे भी कैसे और कहां रखे? पंजाब, हरियाणा में ज्यादा पैदावार से या तो अनाज खुले में पड़ा भीग कर बरबाद हो जाता है या फिर सब्सिडी देने के कारण लागत बढ़ जाने से निर्यात भी नहीं हो पाती. सब्सिडी देना किसानों की आर्थिक स्थिति को सुधारने का कोई स्थायी इलाज नहीं है.

    अमेरिका में क्या हुआ

    दूध उत्पादन किसानों की मदद के उद्देश्य से जिमी कार्टर ने राष्ट्रपति रहते हुए दुग्ध पदार्थों की खरीद पर सब्सिडी दी. इससे किसानों ने ‘चीज’ का ओवर प्रोडक्शन शुरू कर दिया जिसे सरकार खरीदती चली गई. इसे बाजार में जमा कराना मुश्किल हो गया तो सरकार को मुफ्त में ‘चीज’ बांटने के लिए बाध्य होना पड़ा था. जिमी कार्टर के बाद रोनाल्ड रीगन अमेरिका के राष्ट्रपति बने. उन्होंने आते साथ सख्त निर्णय लेकर किसानों को दी जाने वाली सब्सिडी बंद कर दी.

    भारी घाटे में बिजली कंपनियां

    बिजली वितरण कंपनियों का घाटा 50,000 करोड़ रुपए को पार कर चुका है. डिसकाम पर कंपनियों का करीब 95,000 करोड़ रुपए बकाया है. डिस्काम को सरकार की ओर से सब्सिडी मिलने में विलंब होता है जिससे विद्युत वितरण कंपनियां संकट में आ जाती हैं. अभी सभी बिजली उपभोक्ता सब्सिडी के पात्र हैं लेकिन आने वाले समय में केवल जरूरत मंदों का इसका लाभ मिल सकता है. देश में अभी स्लैब के हिसाब से विद्युत ग्राहकों को सब्सिडी का लाभ मिलता है. महाराष्ट्र में 100 यूनिट तक फ्री बिजली है लेकिन गरीब आदमी भी इससे ज्यादा ही बिजली इस्तेमाल करता है.

    नए बिल से महंगी होगी विद्युत

    केंद्र सरकार जो नया बिजली बिल लाने की तैयारी में है उससे बिजली कंपनियों को लागत के आधार पर बिल वसूलने की छूट मिलेगी. पूरी लागत ग्राहकों से वसूली जाएगी. इसके ऐवज में सरकार स्लैब के हिसाब से ग्राहकों के खाते में सब्सिडी ट्रांसफर करेगी जैसा कि उसने रसोई गैस के मामले में किया था. सब्सिडी भी सिर्फ जरूरतमंदों तक सीमित रहेगी.

    बिजली चोरी पर भी अंकुश लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जाएंगे. बिजली की खपत के मुताबिक सब्सिडी तय होगी. इसलिए मीटर लगवाने जरूरी है. अभी महाराष्ट्र में 15 लाख कृषि उपभोक्ता ऐसे हैं जिन्हें बिना मीटर के बिजली मिल रही है और उन्हें एवरेज बिल दिया जाता है. ऐसा अनुमान है कि नया कानून आने पर बिजली प्रति यूनिट 50 पैसे के आसपास महंगी हो सकती है.