azad-meets-sonia-g-23-seeks-greater-say-in-congress

आजाद का यह बयान जी-23 गुट की मुहिम को ही पंक्चर कर देता है.

    Loading

    कांग्रेस में गांधी परिवार के वर्चस्व को चुनौती देनेवाले जी-23 समूह के नेताओं की एकता बिखरती नजर आ रही है. एक ओर जहां इस गुट के नेता कपिल सिब्बल खुले आम मांग कर चुके हैं कि गांधी परिवार को नेतृत्व छोड़ देना चाहिए, वहीं उनके साथी गुलाम नबी आजाद की राय बिल्कुल भिन्न है. आजाद ने सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद कहा कि कोई भी उन्हें अध्यक्ष पद से हटाना नहीं चाहता. उनका नेतृत्व सभी को पसंद हैं. आजाद का यह बयान जी-23 गुट की मुहिम को ही पंक्चर कर देता है. जी-23 के साथ मुश्किल है कि वह कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए ऐसा वैकल्पिक नाम दे पाने में असमर्थ है जो गांधी परिवार का सार्थक विकल्प बन सके और जिसका अखिल भारतीय स्तर पर प्रभाव हो. लगता है कि गुलाम नबी आजाद ने यह समझ लिया है कि कांग्रेस की एकजुटता के लिए गांधी परिवार की अहमियत है. यह बात अलग है कि यह परिवार पार्टी को आगे नहीं ले जा रहा है.

    कुछ नेताओं को मनाया जाएगा

    कांग्रेस हाईकमांड जी-23 के सभी नेताओं को महत्व देने के पक्ष में नहीं है. वह उन नेताओं से नाराज है जिनका स्वर ज्यादा तीखा है. अब हाईकमांड जी-23 की कमजोर कड़ियों की तलाश कर रहा है जिनको संतुष्ट किया जा सके. हाईकमांड कपिल सिब्बल, विवेक तन्खा, पीजे कुरियन को पुन: राज्यसभा में भेजने के मूड में नहीं है. हरियाणा के वरिष्ठ नेता व पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा, जम्मू-कश्मीर की राजनीति देखते हुए गुलाम नबी आजाद और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आनंद शर्मा को राज्यसभा या कहीं और समायोजित करने के लिए कांग्रेस हाईकमांड तैयार दिखाई देता है. महाराष्ट्र के 2 नेता मुकुल वासनिक और मिलिंद देवड़ा जी-23 की बैठकों में शामिल होने पर भी ज्यादा सक्रिय नहीं रहे. इतने पर भी स्पष्ट नहीं है कि उन्हें महाराष्ट्र से राज्यसभा में जाने का मौका पार्टी देगी भी या नहीं! महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण राज्यसभा में जाने के इच्छुक हैं लेकिन मनमोहन सरकार के समय प्रधानमंत्री कार्यालय में मंत्री रह चुके पृथ्वीराज को उनकी जी-23 में सक्रियता देखते हुए पार्टी हाईकमांड शायद ही मौका देगा. जी-23 समूह इस बात पर आपत्ति जता रहा है कि राहुल गांधी 3 महासचिवों पर जरूरत से ज्यादा विश्वास कर रहे हैं, जबकि इनमें से एक भी नेता अपने दम पर चुनाव जीतने में सक्षम नहीं है. ये 3 नेता केसी वेणुगोपाल, अजय माकन, रणदीप सुरजेवाला हैं. यही तीनों इस समय पार्टी का संचालन कर रहे हैं जिससे राहुल गांधी और कांग्रेस की छवि भी कमजोर हो रही है. ऐसे में इन तीनों को हटाकर पुराने और नये नेताओं की समन्वय वाली समिति बनानी चाहिए.

    हुड्डा की स्थिति बेहतर

    भूपिंदर सिंह हुड्डा की पार्टी हाईकमांड के साथ गत सप्ताह हुई बैठक सकारात्मक रही. उनके सामने प्रस्ताव रखा गया है कि वे हरियाणा कांग्रेस विधायक दल के नेता पद से इस्तीफा दे देंगे. स्व. भजनलाल के पुत्र व विधायक कुलदीप बिश्नोई उनका स्थान लेंगे. इसी तरह हरियाणा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा का स्थान हुड्डा के पुत्र व राज्यसभा सदस्य दीपेंदर सिंह हुड्डा लेंगे. जब भी कांग्रेस कार्यसमिति का पुनर्गठन किया जाएगा, उसमें भूपिंदर सिंह हुड्डा को शामिल किया जाएगा. दीपेंदर सिंह हुड्डा अभी कांग्रेस कार्यसमिति के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं जो कुमारी शैलजा के लिए यह जगह खाली करेंगे. कांग्रेस हाईकमांड से भेट के बाद हुड्डा की आजाद और आनंद शर्मा से भी बातचीत हुई. इससे यह लगता है कि कांग्रेस में असंतुष्टों का खेमा टूट जाएगा.