रोजगार-महंगाई छूट रहे पीछे चुनाव के पहले भावनात्मक मुद्दों की बाढ़

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भाजपा की हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राजनीति के काट के तौर पर विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर कुछ जातियों को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहा है. जिस तरह सोनिया गांधी ने विशेष संसद सत्र में जातिगत गणना पर चर्चा कराने की मांग की है, वह भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. लेकिन जैसे-जैसे चुनाव करीब आ रहे हैं, पूरा मामला एक बार फिर सनातन धर्म, हिंदुत्व, अगड़ा-पिछड़ा, दलित-आदिवासी जैसे जातिगत समीकरणों और देश का नाम भारत करने जैसे भावनात्मक मुद्दों में उलझता दिखाई पड़ रहा है.

माना जा रहा है कि जनवरी में राम मंदिर का उद्घाटन, काशी-मथुरा-महाकाल का विकास और देश का नाम भारत करने जैसे मुद्दे जनता को आकर्षित करने के उद्देश्य से ही उठाए गए हैं. नई संसद का गणेश चतुर्थी के दिन उद्घाटन और जी-20 कार्यक्रम के मुख्य समारोह स्थल पर भगवान नटराज की मूर्ति स्थापित करना भी लोगों को आकर्षित करने की ही सोची-समझी योजना है.

कुछ ही समय पहले विपक्ष ने केंद्र सरकार को महंगाई और बेरोजगारी के मुद्दे पर घेरना शुरू किया था. इसका असर भी जल्द ही सामने आ गया और सरकार को गैस मूल्यों में कटौती और सरकार को गैस मूल्यों में कटौती और महंगाई नियंत्रण के लिए विभिन्न उपाय करने पड़े. जगह-जगह पर रोजगार मेले लगाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी जनता के बीच यह संकेत देने की कोशिश की कि सरकार युवाओं को नौकरी देने के मामले में गंभीर है और उन्हें रोजगार उपलब्ध करा रही है.

ऐसा नहीं है कि केवल भाजपा या केंद्र सरकार ही इस सोची-समझी रणनीति पर आगे बढ़ रही है. भाजपा ने आरोप लगाया है कि विपक्षी दलों की ओर से सनातन धर्म और हिंदुओं का विरोध एक सोची-समझी रणनीति के तहत किया जा रहा है. यही कारण है कि कर्नाटक सरकार के मंत्री के तथाकथित सनावन विरोधी बयानों के बाद भी कांग्रेस नेतृत्व उस पर कोई सफाई नहीं दे रहा है. 

जातिगत जनगणना कामुद्दा उठाया विपक्ष ने भाजपा की हिंदुत्व और राष्ट्रवाद की राजनीति के काट के तौर पर विपक्ष जातिगत जनगणना का मुद्दा उठाकर कुछ जातियों को अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रहा है. जिस तरह सोनिया गांधी ने विशेष संसद सत्र में जातिगत गणना पर चर्चा कराने की मांग की है, वह भी इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

जनवरी में मंदिर का उद्घाटन, सनातन धर्म की तरफ मुड़ रहे मुद्दे

इस बार के लोकसभा चुनाव में भी महंगाई, बेरोजगारी के साथ-साथ भावनात्मक मुद्दों की प्रधानता रहने वाली है. भाजपा अपने मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए सनातन धर्म, हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का मुद्दा अवश्य उछालेगी. विपक्ष भी एक वर्ग विशेष को निशाना बनाते हुए कुछ घोषणाएं- बयानबाजी कर अपनी राह सुगम करने की रणनीति अपना सकता है. जिसके पक्ष में जनता की ज्यादा बड़ी लामबंदी होगी, चुनाव वही जीतेगा.