विदेशमंत्री की खरी-खरी आतंकवाद पर न बढ़ें सुविधा के सिद्धांत

– लोकमित्र गौतम

वैश्विक कूटनीति पर अपनी स्पष्ट और धारदार टिप्पणियों से हर किसी का ध्यान खींचने वाले भारत के विदेशमंत्री डॉ. एस जयशंकर ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 78वें सत्र को संबोधित करते हुए दुनिया में मौजूद राजनीति के दोगलेपन को भरपूर आईना दिखाया. आतंकवाद के खिलाफ भारत के साफ रुख को दुनिया के सामने रखते हुए डॉ एस जयशंकर ने कहा, ‘राजनीतिक सहूलियत, आतंकवाद, उग्रवाद या हिंसा पर प्रतिक्रिया का आधार नहीं हो सकती.’ उन्होंने कहा, वक्त आ गया है कि वैश्विक समुदाय नियम-आधारित व्यवस्था और संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान करे.’ इसके साथ ही भारतीय विदेशमंत्री ने दुनिया के देशों से दूसरों के आंतरिक मामलों में दखल न देने का भी आह्वान किया.

अपने 25 मिनट के जोरदार भाषण को विदेशमंत्री ने पूरी तरह से ‘वैश्विक कूटनीति’ पर फोकस रखा हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के गलियारों में जोरदार अनुमान लगाया जा रहा था कि एस. जयशंकर अपने भाषण को कनाडा के साथ भारत के बिगड़ते रिश्तों पर फोकस करेंगे.लेकिन सीधे तौर पर उन्होंने ऐसा नहीं किया. वैसे बिटवीन द लाइंस पढने वाले लोग उनके भाषण को भारत-कनाडा के बीच बिगड़ते रिश्तों और चीन के साथ सीमा पर जारी तनाव के फ्रेम में भी बड़ी कुशलता से देख रहे हैं.

इस सबके साथ इसमें पाकिस्तान को दिया गया करारा जवाब भी शामिल है; क्योंकि पाकिस्तान सिर्फ हमारे लिए ही नहीं अब तो धीरे धीरे वह पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गया है. विदेशमंत्री जयशंकर ने चीन और पश्चिमी देशों द्वारा पूंजी के आक्रामक साम्राज्यवादी इस्तेमाल को भी जमकर खबर ली उन्होंने कहा, ‘मार्केट की पावर का दुरूपयोग भोजन और एनर्जी को जरूरतमंदों से छीनकर अमीरों तक पहुंचाने में नहीं करना चाहिए, न ही अपनी राजनीतिक सहूलियत के लिए आतंकवाद, उग्रवाद और हिंसा पर सेलेक्टिव प्रतिक्रियाएं करनी चाहिए.’ 

उन्होंने यह भी जोड़ा कि ‘चेरी-पिकिंग’ (किसे चुने और किसे नहीं) के जरिये क्षेत्रीय अखंडता और किसी की संप्रभुता का सम्मान नहीं किया जा सकता. ‘वो  दिन गए जब कुछ देश एजेंडा तय करते थे और दूसरों से उम्मीद करते थे कि वे उसका पालन करें.’ जयशंकर ने जी-20 की अध्यक्षता के दौरान भारत की ओर से ग्लोबल साउथ की आवाज उठाने और समूह में अफ्रीकी संघ को शामिल करने के भारतीय पुरुषार्थ का जिक्र करते हुए संयुक्त राष्ट्र को भी इसी दिशा में आगे बढ़ने के लिए कहा, ‘एक बहुत पुराने संगठन, संयुक्त राष्ट्र को सुधार के इस महत्वपूर्ण कदम से सुरक्षा परिषद को समकालीन बनाने की प्रेरणा लेनी चाहिए.’

बड़े देशों को आईना दिखाया

विदेशमंत्री दुनिया के तमाम बड़े और हर मामले में अगुवा बनने वाले देशों को नजदीक से आईना दिखाया है व कहा कि विचार विमर्श में हम अकसर नियम आधारित व्यवस्था को बढ़ावा देने की वकालत करते है, लेकिन हमें ध्यान रखना चाहिए, इसमें संयुक्त राष्ट्र चार्टर का सम्मान भी शामिल है. अब भी कुछ राष्ट्र अपने ही मानदंडों को परिभाषित करना चाहते हैं. यह सब अनिश्चितकाल तक नहीं चलेगा. विदेश मंत्री की इस टिप्पणी ने न सिर्फ चीन या हमारे दूसरे प्रतिद्वंदियों को आईना दिखाया गया है बल्कि इसमें अमेरिका और राष्ट्र संघ के दूसरे प्रभावशाली देशों को भी दिखाया गया है, जिस तरह वे बड़ी बड़ी आदर्शपूर्ण और लोकतांत्रिक बातें करते हैं, आखिरकार उन आदर्शपूर्ण बातों को स्वयं राष्ट्र के चार्टर के मामले में क्यों नहीं लागू करते. विदेशमंत्री एस. जयशंकर ने जोरदार शब्दों में कहा कि भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाया जाए और भेदभाव को खत्म किया जाए.

विदेशमंत्री ने कहा, हमें कोरोना महामारी के दौरान किया गया वैक्सीन भेदभाव जैसा अन्याय भविष्य में नहीं होने देना चाहिए. हमने कोरोना महामारी के दौरान उन देशों को भी बिना किसी भेदभाव के वैक्सीन मदद की, जिनके पास इसे समय पर हासिल करने के लिए संसाधन नहीं थे. विदेशमंत्री ने कहा कि जब हम अपने सामर्थ्य को प्रकट करते हैं तो यह दुनिया को दिखाने के लिए नहीं बल्कि दुनिया को बेहतर बनाने की इच्छा के लिए हम ऐसा करते हैं. ….उठाने में इस्तेमाल करता है. उन्होंने कहा कि सभी देश अपने राष्ट्रहितों को आगे बढ़ाते हैं. भारत को भी इसका हक है. 

भारत में जी-20 की अध्यक्षता संभालकर अपने नेतृत्व से दुनिया को इसका भलीभांति परिचय दिया है. भारत का जी-20 समूह में एक पृथ्वी एक परिवार का दिया गया नारा है. यह दुनिया के भविष्य को सुरक्षित करनेके लिए भारतीय दृष्टिकोण की समझ और स्पष्टता है. निश्चित रूप से एक पृथ्वी एक परिवार का मतलब किसी एक देश या महज कुछ देशों से नहीं है. हमें इस तरह की संकीर्णताओं से ऊपर उठना पड़ेगा और समूची पृथ्वी की चिंताओं से खुद को जोड़ना होगा, क्योंकि धरती का भविष्य इसी सामूहिकता में है.