लालू परिवार की लड़ाई अब खुलेआम

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    चाहे धन-संपदा हो या राजनीति, उसकी विरासत हासिल करने के लिए झगड़े होना स्वाभाविक है. लोग अपने हक की लड़ाई लड़ते हैं. जो सबल और होशियार है, वह जीत जाता है. शाहजहां की विरासत के लिए दारा शिकोह, शुजा, मुराद व औरंगजेब लड़ पड़े थे. औरंगजेब ने अपने तीनों भाइयों को ठिकाने लगा दिया था. अलाउद्दीन खिलजी ने अपने चाचा जलालुद्दीन का कत्ल कर हुकूमत हथियाई थी. जब पिता बूढ़ा या मरणासन्न हो जाए तो बेटों की निगाह विरासत पर ही होती है. लालू परिवार भी इसका अपवाद नहीं है. सार यह है कि राजनीति में कोई भाई नहीं, बेटा नहीं.

    विरासत में वर्चस्व की जंग तो होगी ही. लालूप्रसाद यादव की 9 संतानें हैं जिनमें 7 बेटियां और 2 बेटे तेजप्रताप व तेजस्वी हैं. लालू को चारा घोटाले की वजह से चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार दिया जा चुका है. तेजस्वी और तेजप्रताप दोनों ही नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पिछली सरकार में शामिल थे. तेजस्वी के दबाव से परेशान होकर नीतीश कुमार ने इस्तीफा दे दिया था और फिर उन्होंने राजद से नाता तोड़कर चुनाव के बाद बीजेपी के सहयोग से सरकार बना ली थी. सत्ता से दूर रहने पर भी लालू के दोनों बेटों में राजद पर वर्चस्व के लिए जंग जारी है. लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप ने राष्ट्रीय जनता दल संगठन में सीधे हिस्सेदारी मांगी है.

    लालू तेजस्वी के पक्ष में

    लालू यादव अपनी जगह तेजस्वी को राजद का नेता तय कर चुके हैं और फिलहाल लालू की सलाह से ही तेजस्वी राजनीतिक फैसले कर रहे हैं. इसके विपरीत तेजप्रताप अपनी मां राबड़ी देवी के दुलारे हैं. तेजप्रताप को मंत्री बनवाना हो या उनके समर्थकों को पद दिलवाना, राबड़ी हमेशा साथ देती हैं. विवाद की असली वजह लालू द्वारा संगठन और पार्टी की सरकार आने पर उसका नेतृत्व तेजस्वी को सौंप देना है.

    तेजप्रताप अपना हक चाहते हैं

    तेजप्रताप को छोटे भाई तेजस्वी के पद से कोई आपत्ति नहीं है लेकिन वे पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं पर अपनी धमक बनाए रखने के लिए संगठन में ऐसा कोई बड़ा पद चाहते हैं जिससे तेजस्वी के समान उन्हें भी महत्वपूर्ण माना जाए. तेजप्रताप के स्वभाव में लोगों ने विचित्रता देखी है. वे कभी घर से रूठकर चले जाते हैं तो कभी पीली धोती व मोरपंख पहनकर अलग रूप दिखाते हैं. उनकी शादी भी नहीं टिक पाई. नीतीश मंत्रिमंडल में जहां छोटे भाई तेजस्वी उपमुख्यमंत्री थे, वहीं तेजप्रताप स्वास्थ्य मंत्री बनाए गए थे.

    महाभारत के प्रतीकों का सहारा लिया

    खुद को कृष्ण बताने वाले तेजप्रताप यादव ने राष्ट्रपति रामधारीसिंह दिनकर की काव्य रचना ‘रश्मिरथी’ के अंश का हवाला देकर संधि का प्रस्ताव रखा है और कम से कम 5 गांव मांग कर भविष्य में महाभारत जैसा संघर्ष होने की चेतावनी भी दी है. तेजप्रताप ने कहा कि जो भी कृष्ण के सामने आएगा, शिशुपाल की तरह मारा जाएगा. उनकी इस फेसबुक पोस्ट से राजद में हड़कम्प है. उन्होंने कहा कि आधा राज नहीं तो कम से कम 5 गांव दे दो! वास्तव में यह विरासत में अधिकारों की मांग है. तेजप्रताप ने आरोप लगाया है कि तेजस्वी के सलाहकार संजय यादव दोनों भाइयों को साथ नहीं रहने देना चाहते. इसके अलावा राजद प्रदेशाध्यक्ष जगदानंद संगठन या पार्टी कार्यालय में तेजप्रताप की मनमानी नहीं चलने देते. तेजप्रताप मानते हैं कि उनके वर्चस्व को कम करने में जगदानंद की भूमिका है तथा जगदानंद को चाहिए कि तेजस्वी के समान उन्हें भी उतना ही सम्मान दें.