महंगाई का असर अब RBI ने भी स्वीकारा

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    देश की आम जनता जिस बुरी तरह महंगाई की आंच में झुलस रही है, उसे रिजर्व बैंक ने भी महसूस किया और उसके गवर्नर शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की आपात बैठक लेकर रेपो रेट को 0.40 प्रतिशत बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया. रेपो रेट वह दर होती है जिस पर रिजर्व बैंक से बाकी बैंकों को कर्ज मिलता है. एमपीसी ने यह फैसला देश में बेकाबू हो रही महंगाई को देखते हुए किया. इसके पूर्व रेपो रेट लंबे समय से ऐतिहासिक 4 फीसदी के निचले स्तर पर बनी हुई थी. 22 मई 2020 के लगभग 2 वर्ष बाद इसमें बदलाव किया गया.  रिजर्व बैंक गवर्नर ने कहा कि मार्च 2022 में खुदरा महंगाई बेहद तेजी से बढ़ी और 7 फीसदी पर जा पहुंची. खासकर खाने-पीने की चीजों के दाम अप्रत्याशित रूप से बढ़ने से कंज्यूमर प्राइस इंफ्लेशन अर्थात खुदरा महंगाई तेजी से बढ़ी.

    और कमर तोड़ेगी महंगाई

    मोटे तौर पर जिन 2 कारणों से महंगाई बढ़ी, उनमें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड) के दाम 100 डॉलर प्रति बैरल से ऊपर बने रहना तथा रूस-यूक्रेन युद्ध से उत्पन्न विषम स्थितियां हैं. वैश्विक स्तर पर गेहूं की कमी हो गई है जिसका असर घरेलू कीमतों पर पड़ रहा है. यह बात अलग है कि देश में गेहूं का काफी स्टॉक है. कुछ प्रमुख उत्पादक देशों के निर्यात पर पाबंदी और युद्ध के कारण सूरजमुखी तेल के उत्पादन में कमी से खाद्य तेल के दाम ऊंचे बने रह सकते हैं. इसके अलावा पशु चारे की लागत बढ़ने से दूध, डेयरी उत्पादों और पोल्ट्री के दाम बढ़ सकते हैं. कच्चे माल की लागत में वृद्धि से खाद्य प्रसंस्करण (डिब्बाबंद) वस्तुओं के दाम पुन: बढ़ सकते हैं.

    बचत व निवेश पर प्रतिकूल असर

    निरंतर बढ़ती महंगाई से बचत, निवेश तथा उत्पादन वृद्धि पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है. रिजर्व बैंक गवर्नर ने माना कि ऊंची महंगाई दर का सबसे बुरा असर गरीबों पर पड़ता है. इससे उनकी खरीदने की क्षमता प्रभावित होती है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा महंगाई का असर घरेलू बाजर पर पड़ा है. कुल 12 खाद्य उपसमूहों में से 9 में मार्च महीने में महंगाई दर बढ़ी है. यह दबाव अभी बना रहेगा.

    खुदरा महंगाई 5.7 प्रश रहने का अनुमान

    रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 5.7 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया है. पिछले 3 महीने से खुदरा महंगाई रिजर्व बैंक के लक्ष्य की उच्चतम सीमा 6 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई है. कीमतों के बारे में जानकारी देने वाले उच्च आवृत्ति के संकेतक खाद्य पदार्थों के दाम को लेकर दबाव बने रहने का संकेत देते हैं. आरबीआई का कदम महंगाई को काबू में रखकर वृद्धि को गति देने का है.

    EMI महंगी हो जाएगी

    रेपो रेट बढ़ाने की रिजर्व बैंक की घोषणा से होम लोन, कार लोन सहित सभी प्रकार के कर्ज पर ब्याज की दर बढ़ जाएगी. इस कारण ईएमआई की रकम बढ़ जाएगी. इससे उन आम लोगों की परेशानी और ज्यादा बढ़ेगी जिन्होंने लोन पर मकान या गाड़ियां ले रखी हैं. आरबीआई के रेपो रेट वृद्धि के फैसले से शेयर बाजार में भारी गिरावट आई और वह 2 माह के निचले स्तर पर बंद हुआ. मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने कैश रिजर्व रेशियो भी 0.50 प्रतिशत बढ़ाने का फैसला किया. मध्यम अवधि में आर्थिक विकास की संभावना को मजबूत बनाने के लिए ऐसा कदम उठाया गया.

    वित्तीय बाजार हैरत में

    रिजर्व बैंक की 6 सदस्यों की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी ने वित्तीय बाजार को हैरत में डाल दिया. 3 सप्ताह पूर्व इस समिति ने रेपो रेट 4 प्रतिशत पर रखने का सर्वसम्मत निर्णय लिया था और अभी अचानक इसे बढ़ाकर 4.4 फीसदी कर दिया. बढ़ती महंगाई और अनिश्चितता के दौर में ऐसा कदम उठाना पड़ा. ईंधन व खाद्य वस्तुओं की कीमतें ऐसे समय बढ़ी हैं जब अन्य उपभोक्ता वस्तुओं की महंगाई एक वर्ष में लगभग 6 फीसदी की ऊंचाई पर बनी हुई है. अब कंपनियां अपनी बिक्री दर बढ़ाएंगी और कर्मचारी अधिक वेतन चाहेंगे. इससे महंगाई का दूसरा दौर आएगा. संभवत: इसे देखते हुए रेपो रेट बढ़ाने का फैसला किया गया. महंगाई रोकने के लिए पेट्रोल-डीजल की दरें घटाना जरूरी है.