शिवसेना विधायक दूसरे राज्य जा पहुंचे, पुलिस बेखबर रही पवार का झल्लाना स्वाभाविक

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    एनसीपी प्रमुख शरद पवार इस बात से बेहद खफा हैं कि बड़ी संख्या में बागी शिवसेना विधायक दूसरे राज्य (गुजरात) जा पहुंचे लेकिन गृह मंत्रालय और गुप्तचर विभाग ने महाविकास आघाड़ी नेतृत्व को इस बारे में सतर्क नहीं किया. यह बेहद चौंकानेवाला मामला है कि पुलिस को इसकी भनक तक नही लगी. दिल्ली से लौटने के बाद पवार इस मुद्दे को लेकर गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटिल और एनसीपी प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल पर बरस पड़े. अपने निवास सिल्वर ओक में बुलाई नेताओं की मीटिंग में पवार ने मौजूदा राजनीतिक स्थिति की समीक्षा की. वे इसलिए ज्यादा नाराज थे लेकिन गृह मंत्रालय उनकी ही पार्टी के नेता संभाल रहे हैं और फिर भी खुफिया विभाग गाफिल रहा. पवार ने दो टूक लहजे में पूछा कि क्या इतने बड़े मूवमेंट के बीच भी पुलिस सो रही थी? यह एक बड़ा इंटेलिजेंस फेल्योर है.

    बागी विधायकों में गृह राज्यमंत्री देसाई भी

    बागी विधायकों में से एक शंभुराजे देसाई महाराष्ट्र के गृह राज्यमंत्री हैं. नियम यह कि जब भी पुलिस सुरक्षा वाला कोई विधायक अन्य राज्य में जाता है तो उसके साथ जाने वाली स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट (एसपीयू) इस बारे में वरिष्ठ अधिकारियों को सूचित करती है. चूंकि पुलिस एस्कोर्ट के रूप में जाने वाले सिक्योरिटी के लोग साथ में हथियार ले जाते हैं इसलिए एसओपी के मुताबिक उन्हें अपने वरिष्ठों को इस संबंध में पहले से बता देना जरूरी होता है ताकि दूसरे राज्य में कोई बखेड़ा  होने पाए.

    क्या CM को ब्रीफिंग नहीं दी गई

    नियम यही है कि मुख्यमंत्री को प्रतिदिन गुप्तचर विभाग की ओर से ब्रीफिंग (जानकारियां) दी जाती हैं. इसके अलावा गृह मंत्री को भी सारे महत्वपूर्ण घटनाक्रमों की जानकारी दी जाती है फिर बागी शिवसेना विधायकों के इतनी बड़ी संख्या में गुजरात रवाना होने का पता क्यों नहीं चल पाया. बागी शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे 24 से ज्यादा विधायकों को लेकर मुंबई से सूरत के लिए रवाना हुए जिनमें 3 राज्य मंत्रियों का भी समावेश था लेकिन मुख्यमंत्री कर्यालय को इस मूवमेंट का कोई सूचना नहीं मिल पाई. आखिर यह कैसी सरकार है और कैसी है उसकी सिस्टम? क्या एयरपोर्ट पर भी ऐसा कोई गुप्तचर तैनात नहीं था जो बता देता कि फ्लाइट से विधायक कहां जा रहे हैं? क्या जवाबदारी नाम की कोई चीज नहीं है? यह तो खैर राजनीतिक मामला है, कोई आर्थिक अपराधी भी इसी तरह भाग निकले तो पुलिस को भनक तक नहीं लगेगी.

    उद्धव को अपने पास गृहमंत्रालय रखना था

    पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि उद्धव ठाकरे अपनी पार्टी के विधायकों की बगावत से इसलिए अनभिज्ञ रहे क्योंकि उनके या शिवसेना के पास गृह मंत्रालय नहीं था. मामला इसलिए भी गंभीर हो जाता है क्योंकि अकोला जिले के बालापुर के शिवसेना विधायक नितिन देशमुख ने आरोप लगाया कि उनकी हत्या की कोशिश की गई. जब वह सूरत से मुंबई लौटना चाहते थे तो पुलिस वालों ने उन्हें रोका और जबरदस्ती अस्पताल ले गए थे. गुवाहाटी ले जाने के बाद वे विमान से नागपुर लौट आए और फिर सड़क मार्ग से अकोला पहुंचे.