दमघोंटू हो गई देश की राजधानी

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    देश की राजधानी दिल्ली की हालत इतनी खराब है कि सुप्रीम कोर्ट भी भड़क उठा. देश की सबसे बड़ी अदालत ने कहा कि दिल्ली-एनसीआर में वायु प्रदूषण से हालात इतने बिगड़ गये हैं कि लोगों को घर में भी मास्क लगाना पड़ रहा है. इस आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने की जरूरत है.

    यदि आवश्यकता पड़े तो लॉकडाउन भी लगाया जाए. दिल्ली में एक सप्ताह तक सभी स्कूल बंद रहेंगे. सरकारी कर्मचारी भी वर्क फ्राम होम करेंगे. धूल न उड़े इसलिए दिल्ली में कंस्ट्रक्शन से जुड़ी गतिविधियों पर भी रोक लगा दी गई है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रदूषण के लिए सिर्फ किसान जिम्मेदार नहीं है. पराली जलाने के अलावा गाड़ियों, उद्योग और दूसरी चीजों से भी प्रदूषण फैलता है. उस पर भी ध्यान दिया जाए.

    दिवाली के बाद से ही हालात खराब

    दिल्ली में प्रतिवर्ष ठंड के मौसम में कुछ महीनों तक कोहरा और धुएं (स्मोग) की समस्या बनी रहती है. दिवाली से वहां एयर क्वालिटी इंडेक्स गंभीर या चिंताजनक हो गया है. हरियाणा के पंजाब में फसलों के ठूंठ (पराली) जलाने से वहां का धुआं दिल्ली की ओर आता है. हवा ठंडी होने से ऊपर की ओर नहीं उठती. ऐसी स्थिति में दमा तथा श्वांस की बीमारियों से पीड़ित लोगों का बहुत बुरा हाल हो जाता है.

    सर्दी-खांसी, निमोनिया के मामले बढ़ जाते हैं. यद्यपि दिल्ली ने सभी कोयला आधारित बिजली घर बंद कर दिए हैं. सार्वजनिक परिवहन बढ़ाया है. उद्योगों से अच्छे ईंधन का इस्तेमाल करने को कहा गया है इसके बावजूद दिल्ली में 1.3 करोड़ पेट्रोल-डीजल चलित वाहन हैं जिनसे काफी धुआं निकलता है. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ट्रापिकल मेट्रालाजी (पुणे) के अनुसार वाहनों का धुआं दिल्ली को सबसे ज्यादा प्रदूषित करता है.

    निर्माण कार्य से धूल का गुबार

    दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण की रिपोर्ट के अनुसार पुरानी इमारतें तोड़ने और नए निर्माण कार्य की वजह से प्रतिदिन 3,711.64 टन मलबा उत्पन्न होता है. सारा मलबा प्रोसेसिंग प्लांट में नहीं जाता. यद्यपि यह आदेश हैं कि रिसाइकिल की गई गिट्टी तथा सामग्री का फिर से इस्तेमाल किया जाए किंतु ऐसा हो नहीं पाता.

    सर्दियों में कचरा-कूड़ा जलाने पर प्रतिबंध रहना चाहिए लेकिन हर दिन निकलनेवाले 11,144 मीट्रिक टन कूड़े में से केवल 47 प्रतिशत प्रोसेस कर पुन: इस्तेमाल योग्य बनाया जाता है. आधा से ज्यादा कचरा गड्ढे भरने (लँड फिलिंग) के लिए इस्तेमाल होता है लेकिन कचरे का पहाड़ बनता चला जाता है जिसमें कभी भी आग लगने का खतरा बना रहता है. दिल्ली के आनंद विहार में और कनाट प्लेस में स्मोग टावर बनाया गया है जिसकी चिमनी 1 किलोमीटर तक के धुएं को खींच कर ऊपर फेंकती है लेकिन इतने बड़े क्षेत्र में यह अपर्याप्त है.

    ट्रेन, विमानसेवा भी प्रभावित होती हैं

    प्रतिवर्ष ठंड के मौसम में भारी कोहरे की वजह से ट्रेन व विमान सेवाएं बुरी तरह प्रभावित होती है. विमानों को उड़ान भरने और उतरने में दिक्कत जाती है ट्रेन घंटों लेट होती है और कितनी ही फ्लाइट कैंसिल करनी पड़ती हैं. इसका समाधान निकालने के लिए हर स्तर पर प्रयास करने होंगे.