इस सरकार का सर्वर ही डाउन है

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जिस तरह के हताशाजनक और उद्देश्यहीन दौर से महाराष्ट्र की गड्डपड्ड राजनीति चल रही है उसे देकते हुए लगता है कि न केवल पटवारी परीक्षा का  बल्कि इस सरकार का सर्वर ही डाउन चल रहा है. सर्वत्र अन््यय का आलम नजर आ रहा है मानो कोई जिम्मेदारी लेने को ही तैयार नहीं है. तलाठी-पटवारी की परीक्षा महाराष्ट्र में यूपीएससी व एमपीएससी के बाद सबसे हॉट केक वाली परीक्षा है. इसे ढंग से लेने की बजाय परीक्षार्थियों की भावना से खिलवाड़ किया गया. सर्वर डाउन होने से हजारों परिक्षार्थियों को परीक्षा से वंचित रहना  पड़ा. नौकरी पाने की चाहत लिए गरिब खेतिहर मजदूरों, किसानों की संताने एक दिन पूर्व परीक्षा केन्द्रों पर पहुंची थीं.

सरकार ने इन बेरोजगारों के साथ क्रूर मजाक किया. जिलावार परीक्षा केंद्र नहीं रखे जाने से परिक्षार्थियों को भी दिक्कतें झेलनी पड़ीं. नागपुर जिले के परीक्षा केंद्रों पर मराठवाड के लातूर और जालना जिले के परीक्षार्थी आए थे जिनके खाने-पीने, सोने की कोई व्यवस्था नहीं थी. राज्य में केवल 4 परीक्षा केंद्र होने से परिक्षार्थियों को अत्यंत असुविधा हई. राज्य के जिल्हों से परीक्षार्थी एक दिन पूर्व आ गए थे. सुबह 7 बजे परीक्षा केंद्र पहुंचने पर भी 10 बजे तक परीक्षा शुरू नहीं हुई.

बार-बार बहानेबाजी

सरकारी नौकरी की परीक्षा को मखौल बना दिया गया है. कभी जानबूझकर पेपर लीक किया जाता है तो कभी तकनीकी खराबी का बहाना बनाया जाता है. मकसद यही है कि कोई भी काम कंपटीशन.. नियोजन के साथ ढंग से पूरा नहीं होने देना है ताकि बाद में जिम्मेदारी न लेनी पड़े. इसलिए निष्क्रियता और धांधली चलने दी जाती है और गैर जिम्मेदाराना रवैया अपनाया जाता है. एक समय था जब महाराष्ट्र अपने व्यवस्थित कार्यकलापों से देश में आदर्श स्थापित करता था और लोग यहां की मिसाल दिया करते थे. आज यही राज्य निष्क्रियता की मिसाल देने लगा है. राजनीतिक दुर्गति या अधोगति के अलग तरीके के मानक स्थापित किए जा रहे हैं.

निजी संस्थाओं को ठेका

सरकार में बैठे नेता व मंत्री पटवारी परीक्षा या सरकारी पदों की परीक्षाओं को जानबूझकर ऐसी निजी संस्थाओं द्वारा लेने के लिए माहौल बनाते हैं जो उनके ‘हितो’ का ध्यान रखे. नेता-अफसर-ठेकेदार की तिकड़ी ने दीमक की तरह पूरे सिस्टम को चट कर डाला है. पारदर्शिता के नाम पर मॉडर्न टेक्नोलॉजी की आड़ लेकर ये सरकार गरीब साधनहीन परीक्षार्थियों के साथ निंदनीय खिलवाड़ कर रही है. संभालने को तो एक सक्षम मुख्यमंत्री ही पूरे राज्य को भलीभांति संभाल सकता है लेकिन यहां एक सीएम और 2 डिप्टी सीएम होने के बावजूद इस सरकार का सर्वर डाउन ही चल रहा है.

यह कैसी लीपापोती

यह कैसी दयनीय स्थिति है कि एकनाथ शिंदे के गृहक्षेत्र ठाणे के कलश स्थित सरकारी अस्पताल में 24 मरिजों की मौत हो गई. इस मुद्दे पर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार सवाल खड़ा कर रहे हैं. उन्होंने सीएम को घेरते हुए सवाल किया कि ठाणे में इतनी मौतें कैसे हुईं? इस तीखी बहस के बीच उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को हस्तक्षेप करना पड़ा तब कहीं यह बड़ा विवाद टल गया. इसी तरह की लीपापोती का काम सारे राज्य में चल रहा है. ऐसी स्थिति में यदि सरकार ने सतर्कता बरतते हुए अधिकारियों को काम पर नहीं लगाकर और ऐसी ही धांधली चलती रही तो जनता ही इनका सर्वर हमेशा के लिए डाउन कर देगी.