देश की एकता-अखंडता सर्वोपरि खालिस्तान समर्थकों से सख्ती से निपटें

Loading

जिस देश में सिखों को कभी हिंदुओं से अलग नहीं समझा गया बल्कि उन्हें हिंदुओं का रक्षक मानते हुए आदर के साथ ‘सरदारजी’ कहा गया, वहां खालिस्तान के नाम पर अलगाववाद का सुर क्यों निकलना चाहिए? देश हिंद की चादर कहे जानेवाले गुरू तेगबहादुर का बलिदान कभी नहीं भूल सकता जिन्होंने कश्मीर के हिंदुओं की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी थी. पंजाब में हर हिंदू परिवार से एक बेटे को केशधारी सिख बनाने का रिवाज था. महान सिख शासक महाराजा रणजीतसिंह ने काशी विश्वनाथ मंदिर को सोने से मढ़वाया था. जब ऐसे तथ्य मौजूद है तो फिर खालिस्तान का शगूफा क्यों छोड़ा जा रहा है और ाालिस्तान समर्थक इतना उत्पात क्यों मचा रहे हैं? जाहिर है कि यह साजिश विदेशी मुल्कों में रची गई.

इसका मकसद भारत की एकता-अखंडता को क्षति पहुंचाना और लोगों में दुराव पैदा करना है. खालिस्तान समर्थक ताकतों को पाकिस्तान ने बढ़ाया दिया. जब 1971 के युद्ध के बाद पूर्व पाकिस्तान की जगह स्वतंत्र राष्ट्र बांग्लादेश बन गया तो पाक ने भी भारत से पंजाब को अलग करने की चाल के तहत खालिस्तान अलगाववादियों को प्रोत्साहन देना शुरू किया. इसके अलावा कनाडा और ब्रिटेन में भी खालिस्तान समर्थकों की बड़ी तादाद है. कनाडा की सरकार में तो कुछ मंत्री इसी विचारधारा के हैं.

इन भारत द्वेषी ताकतों को विदेश से मदद मिल रही है. जब जरनैलसिंह भिंडरावाले के नेतृत्व में पंजाब में बगावत और अराजकता फैलाई जा रही थी तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने ऑपरेशन ब्लू स्टार करवाया था और सुपर कॉप केपीएस गिल ने उपद्रवियों पर सख्ती से काबू पाया था. बाद में इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों ने हत्या कर दी थी. अब भी खालिस्तान समर्थक विदेश में जुलूस निकालते और प्रदर्शन करते हैं तथा उनके नेता जहरीले बयान देते रहते हैं. भारत ने इस संबंध में वहां की सरकारों के सामने आपत्ति दर्ज कराई है. पंजाब में खालिस्तान समर्थक संगठन ‘वारिस पंजाब दे’ के प्रमुख अमृतपाल सिंह के निकटवर्ती तूफान सिंह की गिरफ्तारी के विरोध में उनके हजारों समर्थक बंदूक व तलवारें लेकर सड़कों पर उतर आए.

स्वयं अमृतपाल ने अपने समर्थकों को अजनाला पहुंचने के लिए कहा था और अजनाला पुलिस थाने के बाहर प्रदर्शन करते हुए गिरफ्तारी देने की घोषणा की थी. अमृतपाल के खिलाफ सोशल मीडिया पर टिप्पणी करनेवाले एक युवक का अपहरण कर उसे बुरी तरह पीटा गया. पुलिस ने अमृतपाल, उसके साथी तूफान सिंह समेत कुल 30 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है.

सबसे गंभीर मुद्दा यह है कि अमृतपाल सिंह ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का इंदिरा गांधी जैसा हश्र करने की धमकी दी लेकिन बाद में इस पर यू-टर्न लेते हुए कहा कि शाह उसे मरवाना चाहते हैं. इस तरह के उपद्रवी तत्वों को सख्त ताकीद दी जानी चाहिए. जिस तरह कश्मीर में आतंकवादियों को पाकिस्तान से मिलनेवाली फंडिंग बंद की गई, उसी तरह खालिस्तान समर्थकों को भी विदेश से किसी भी रूप में मिलनेवाली मदद रोकनी होगी. इसी तरह दुष्प्रचार पर भी समय रहते लगाम लगाने की आवश्यकता है. देश की एकता-अखंडता हर कीमत पर कायम रखनी होगी.