Xi Jinping is hesitant to come to India because of Ladakh, Arunachal

Loading

भारत की 20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता चीन की आंखों की किरकिरी बनी हुई है. 2013 में चीन का राष्ट्रपति बनने के बाद से यह पहला जी-20 सम्मेलन है जिसमें जिनपिंग भाग नहीं ले रहे हैं. वे भरात आते भी तो किस मुंह से! यहां उन्हें प्रधानमंत्री मोदी तथा अन्य नेता खरी-खरी सुना देते. जिनपिंग के जी-20 सम्मेलन में भाग नहीं लेने की वजह साफ हैं. चीन ने शरारतपूर्ण तरीकेत से ऐसा नक्शा जारी किया है जिसमें अरुणाचल प्रदेश, लक्ष्मण का डोकलाम क्षेत्र, अक्साई चिन और पूरा दक्षिण चीन समुद्र चीन की सीमा के अंतर्गत दिखाया गया है. भारत की औपचारिक शिकायत के जवाब में चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने कहा कि इस मामले में भारत को शांत बैठना चाहिए और नक्शे की जरूरत से ज्यादा समीक्षा (ओवर इंटरप्रेटिंग) नहीं करनी चाहिए. फिलीपीन्स, ताईवान, जपान और वियतनाम जैसे देशों ने भ ीचीन की हरकतों पर आपत्ति उठाई है जो कि पड़ोसी देशों की जमीन को अपना बताता है. गलत नक्शा जारी करने से चीन और अलग-थलग पड़ गया है.

चीन ने जी-21 शिखर सम्मेलन से दूरी इसलिए भी बनाई है क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी ने इस सम्मेलन में दक्षिणी गोलार्ध में भारत के बढ़ते कद को बढ़ावा देने का आवाहन किया है. इसी तरह जी-20 में अमेरिका और जापान जैसे देश शामिल हैं जो चीन के कट्टर विरोधी हैं. दोनों ही देश भारत का साथ दे रहे हैं. चीन को लगता है कि जी-20 में उसकी दाल नहीं गलेगी और इस आयोजन से भारत का नेतृत्व चमकेगा. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री रहते भारत की वैश्विक छवि मजबूत बनी है. चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग से भी दुनिया में भारत की ख्याति बढ़ी है. हाल के महीनों में फिजी, आस्ट्रेलिया और ग्रीस अपने देशों का श्रेष्ठ सम्मान प्रधानमंत्री मोदी को दे चुके हैं.

चीन जी-20 के संदेश वसुधैव कुटुम्बकम के भी खिलाफ है. उसका कहना है कि यह संदेश संस्कृत में है जो संयुक्त राष्ट्र की अधिकृत 6 भाषाओं में शामिल नहीं है. वास्तव में किसी न किसी बहाने चीन भारत… में अस्थिरता और तनाव बनाए रखना चाहता है. शी जिनपिंग राजद…. न आकर अपने प्रधानमंत्री ली क्विंग को भेज रहे हैं. उनके नहीं आने से शिखर सम्मेलन का कुछ नहीं बिगड़ेगा. जी-20 राष्ट्रों का शिक्षा, खाद्य, ईंधन, नियोजित विकास और आर्थिक सहयोग जैसे क्षेत्रों में समान रुचि है.

आशियान से भी कन्नी काटी

जी-20 शिखर सम्मेलन से पहले शी जिनपिंग को दक्षिण पूर्व एशियाई राष्ट्रों के संयुक्त (एसियान) की जकार्ता बैठक में जाना था लेकिन वहां भी वे नहीं गए क्योंकि वहां भी भारत, जापान और वियतनाम, मलेशिया व इंडोनेशिया अतिक्रमणकारी नक्शे को लेकर चीन का कड़ा विरोध करते. जी-20 में चीन के राष्ट्रपति के नहीं आने से मेजबान देश भारत का ही बोलबाला रहेगा. चीन के नुकसान में भारत का फायदा है. अधिकांश विकसित और विकासशील देश सहयोग के लिए भारत की ओर ही देख रहे हैं जो विश्व को एक परिवार के रूप में देखता है. जी-20 ने प्रधानमंत्री को अवसर दिया है कि वे भारत की छवि विश्व मंच पर गौरवपूर्ण ढंग से प्रस्तुत करें. इसके पहले बाली, समरकंद और जोहान्सबर्ग जैसे 3 स्थानों पर मोदी और जिनपिंग का आमना-सामना हुआ था लेकिन उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी. जी-20 में जिनपिंग के अलावा रूस के राष्ट्रपति पुतिन भी नहीं आ रहे हैं. इस तरह युक्रेन मुद्दे पर विश्व 2 गुटों में बंट गया हैं. जी-20 में जिनपिंग की अनुपस्थिति पलायनवादी है.