स्टालिन की अनुकरणीय कार्य शैली अब तमिलनाडु में NEET नहीं

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    कुछ नेताओं को यह सोचना व्यर्थ है कि उनके बगैर काम चल ही नहीं सकता. अगली पीढी के ऐसे भी नेता आते हैं जो बेहतर तरीके से काम करते हैं तमिलनाडु में आज न तो एम करुणानिधि जीवित हैं और न ही जयललिता लेकिन वहां मुख्यमंत्री एमके स्टालिन की सरकार रचनात्मक तरीके से बढ़-चढ़कर काम कर रही है. यह सरकार लीक से हटकर कुछ सार्थक निर्णय ले रही है.

    तमिलनाडु विधानसभा में एक विधेयक पारित किया गया जिसके कानून बन जाने पर राज्य में नीट (नेशनल इलेजिबिलिटी एंट्रेंस टेस्ट) की परीक्षा नहीं होगी. सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कालेजों में कक्षा 12वीं में प्राप्त अंकों के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा. सरकारी स्कूलों के छात्रों के लिए 15 प्रतिशत सीटें रिजर्व रखी गई हैं. मुख्यमंत्री स्टालिन ने यह विधेयक पेश किया जिसका कांग्रेस अन्नाद्रमुक पीएम के तथा अन्य दलों ने समर्थन किया. बीजेपी बहिर्गमन के बावजूद विधेयक ध्वनिमत में पारित हो गया. विधानसभा में सेलम के उस छात्र का मुद्दा गूंजा जिसने नीट में शामिल होने से पहले इसके परिणाम की आशंका को देखते हुए खुदकुशी कर ली थी.

    स्टालिन ने 65 लाख स्कूल बैग का विद्यार्थियों को मुफ्त वितरण किया. वैसे यह पिछली सरकार की योजना थी औरबैग पर पूर्व मुख्यमंत्री पलानीसामी की तस्वीर छपी थी. जब शिक्षा मंत्री पोरब मोझी ने यह बात स्टालिन के ध्यान में लाई तब भी उन्होंने बड़ा दिल रखकर उस तस्वीर को कायम रखते हुए बैग बांटने का निर्देश दिया. इसमें सरकार की 13 करोड़ रुपए की बचत हुई. उन्होंने मंत्रियों से भी कहा कि मंत्री रहते हुए पार्टी कार्यकर्ता के समान न बोला करें.

    इससे याद आता है कि जब जनता पार्टी सरकार में अटलबिहारी वाजपेयी विदेश मंत्री थे तब उन्हें खुश करने के इरादे से किसी ने वहां लगा नेहरू का चित्र हटा दिया. वाजपेयी ने आदेश दिया कि वह चित्र पूर्ववत वहीं लगा दिया जाए. स्टालिन ने कोरोना मैनेजमेंट समिति बनाई तो उसमें सर्वदलीय सदस्यों को शामिल किया जिनमें पिछली अन्ना द्रमुक सरकार में स्वास्थ्य मंत्री रह चुके सी विजय भास्कर का भी समावेश था. एफडीएम के विधायक ने बिल पेश करते समय स्टालिन की प्रशंसा की तो तत्काल स्टालिन ने ऐसी तारीफ करने से मना कर दिया.