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बीजेपी नेताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे कांग्रेस का अस्तित्व ही बर्दाश्त नहीं है.

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    लोकतंत्र के हित में विपक्ष का मजबूत रहना जरूरी है. यदि विपक्ष बेहद कमजोर रहा तो वह जनता से जुड़े प्रश्नों और मुद्दों को उठा पाने में असमर्थ रहेगा तथा सरकार उसकी अनुसुनी कर देगी. बहुमत की सरकार के सामने प्रभावी विपक्ष का अस्तित्व भी जरूरी है ताकि ज्वलंत समस्याओं पर बहस हो सके और फिर जनकल्याण की दिशा में कदम उठाए जा सकें. एक ओर जहां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने कांग्रेस मुक्त भारत की बात की थी वहां केंद्रीय भूतल परिवहन व राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि लोकतंत्र के लिए कांग्रेस का मजबूत होना बहुत जरूरी है. उनकी राय में लोकतंत्र तभी सफल हो सकता है जब विपक्ष भी सशक्त हो. पता नहीं गडकरी के इन उदारतापूर्ण उद्गारों को प्रधानमंत्री मोदी और गृह मंत्री अमित शाह कितना पचा पाएंगे. बीजेपी नेताओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जिसे कांग्रेस का अस्तित्व ही बर्दाश्त नहीं है. वे देश की सारी समस्याओं का दोष कांग्रेस को देते हैं. समाधान इस बात का है गडकरी ऐसा कोई पूर्वाग्रह नहीं रखते. यही वजह है कि हर पार्टी में उनके मित्र हैं.

    विपक्ष भी उनका लोहा मानता है

    हाल ही में जब गडकरी ने संसद में भाषण दिया तो उसमें विपक्ष ने कोई टोकाटाकी नहीं की. सभी ने ध्यान से उनके विभाग की उपलब्धियों तथा विकास कार्यों के बारे में सुना. विपक्ष जानता है कि गडकरी सड़कें, ओवर व अंडर ब्रिज बनवाकर, महामार्गों और सुरंगों का जाल बिछाकर देश को तेजी से तरक्की के रास्ते पर ले जा रहे हैं. उनके मंत्री बनने के बाद से सड़क निर्माण की गति बढ़ी है. अच्छे महामार्ग बनने से यात्रा का समय व ईंधन का खर्च घटा है. अमेरिका से भी अच्छी सड़कें बनाने का गडकरी लक्ष्य रखते हैं. नागपुर, पुणे, मुंबई में मेट्रो ट्रेन भी उनके प्रयासों का फल है.

    कांग्रेसजनों का हौसला बढ़ाया

    गडकरी ने कांग्रेसियों का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें सलाह दी कि वे अपना विश्वास बनाए रखें और डटकर पार्टी में बने रहें. उन्होंने कांग्रेस के मजबूत रहने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि क्षेत्रीय दलों को विपक्ष की भूमिका पर कब्जा करने से रोकने के लिए यह जरूरी है. हाल ही में 5 राज्यों के चुनाव में कांग्रेस की दुर्गति के बाद कांग्रेस नेताओं में जिस तरह से निराशा फैली है उसे हल्का करते हुए गडकरी ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी भी लोकसभा चुनाव हार गए थे लेकिन फिर भी उन्हें पं. नेहरू से भरपूर सम्मान मिलता था.

    सच्चे लोकतंत्रवादी

    गडकरी के रवैये से लगता है कि वे सच्चे लोकतंत्रवादी हैं. वे अमित शाह के समान कांग्रेस को नेस्तनाबूत करने की भावना नहीं रखते. नेहरू भी विपक्ष के प्रति ऐसा ही रुख रखते थे. जब समाजवादी नेता डा. राममनोहर लोहिया नेहरू के खिलाफ चुनाव लड़कर हार जाते थे तो नेहरू किसी उपचुनाव में लोहिया की जीत सुनिश्चित कर उन्हें लोकसभा में लाते थे. नेहरू चाहते थे कि विपक्ष उनकी नीतियों की विवेचना और आलोचना करे. गडकरी जानते हैं कि लोकतंत्र में विपक्ष की महत्ता है. उसे अत्यंत निर्बल नहीं होना चाहिए. जब इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए लोगसभा चुनाव में सहानुभूति लहर के चलते कांग्रेस को प्रचंड बहुमत मिला था और बीजेपी को सिर्फ 2 सीटें मिल पाई थीं तब संसद में बहस का माहौल ही नहीं रह गया था. लोकतंत्र की सफलता के लिए शक्ति संतुलन जरूरी है. निश्चित रूप से गडकरी का रवैया लोकतंत्र के हिमायती सुलझे हुए नेता का है. वे बीजेपी के उन नेताओं से बिल्कुल अलग हैं जो कांग्रेस से गहरा द्वेष रखते हैं.