चुनाव खत्म होते ही, जमकर भड़केगा पेट्रोल-डीजल

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    कोई सरकार कितनी ही सामर्थ्यवान होने पर भी बाजार की ताकत का मुकाबला नहीं कर सकती. वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण और रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास अर्थव्यवस्था का कारवां तेजी से आगे बढ़ाने की बात करते हैं लेकिन एक ओर बढ़ती हुई महंगाई और दूसरी ओर अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल (क्रूड ऑइल) की बढ़ती कीमतें इकोनॉमी को झकझोरने में लगी हैं. यद्यपि चुनाव आते ही सरकार पेट्रोल-डीजल के दाम नहीं बढ़ने देती ताकि जनता नाराज न हो जाए परंतु चुनाव नतीजे आने के बाद एक झटके से कीमतें बढ़ जाती हैं. 

    माना जा रहा है कि 5 राज्यों के चुनाव समाप्त होते ही पेट्रोल-डीजल के दाम बेतहाशा बढ़ जाएंगे क्योंकि क्रूड ऑइल की दर 8 वर्षों के रिकार्ड स्तर पर जा पहुंची है. 1 दिसंबर 2021 को कच्चे तेल का दाम 69 डॉलर प्रति बैरल था जो अब 95 डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचा है. इसके पहले भी 2014 में क्रूड ऑइल के दाम 95 डॉलर प्रति बैरल के पार चले गए थे. ऐसा अनुमान है कि आनेवाले समय में इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती है. 

    इसका गणित ऐसा है कि यदि क्रूड ऑइल प्रति बैरल 1 डॉलर भी महंगा हुआ तो पेट्रोल-डीजल के दाम 55 से 60 पैसे बढ़ जाते हैं. डीजल महंगा होते ही परिवहन लागत बढ़ जाती है. इसका असर सारी वस्तुओं के दाम पर पड़ता है और जनता महंगाई से कराहने लगती है. इस स्थिति पर काबू पाना सरकार के वश में नहीं है. कोरोना महामारी की वजह से उद्योग बंद होने व खपत कम होने से सरकार की आय के साधन घट गए. केवल पेट्रोल-डीजल बिक्री से मिलने वाले उत्पाद शुल्क पर ही उसका राजस्व निर्भर है. केंद्र सरकार ने 3 नवंबर को पेट्रोल-डीजल पर एक्साइज ड्यूटी कम करने की घोषणा की थी जिससे कीमतों में कमी आई और उसके बाद से दाम नहीं बढ़े थे. अब चुनाव नतीजे आने के बाद महंगाई नए सिरे से जनता को एक और करारा झटका देगी.