बिहार घटनाक्रम के कारण फिलहाल बोम्मई की कुर्सी बची

    Loading

    कर्नाटक की सत्ता पर अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखने के उद्देश्य से बीजेपी इस फिराक में है कि 2023 में होनेवाले विधानसभा चुनाव से पूर्व बसवराज बोम्मई की जगह किसी अन्य नेता को मुख्यमंत्री बना दिया जाए जो सक्षमता से विपक्ष को टक्कर दे सके. बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व आमतौर पर ऐसे निर्णय लेता आया है. उत्तराखंड में भी चुनाव से पहले मुख्यमंत्री बदला गया था. बोम्मई को हटाने से उनके विरोधी भी शांत हो जाएंगे तथा पूर्व सीएम व पार्टी के वरिष्ठ नेता बीएस येदियुरप्पा का असंतोष भी कम हो जाएगा. बीजेपी की राज्य इकाई के भीतर शीर्ष नेतृत्व (मुख्यमंत्री) सहित कई पदों पर बदलाव की अटकलें कई दिनों से चल रही हैं.

    खास तौर पर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की हाल की कर्नाटक यात्रा के बाद से इस तरह की चर्चा को जोर मिला है. कांग्रेस नेताओं द्वारा पिछले कुछ दिनों में किए गए कई ट्वीट में बोम्मई को हटाए जाने और राज्य को शीघ्र ही तीसरा मुख्यमंत्री मिलने का दावा किया गया, साथ ही बोम्मई को दूसरों के इशारे पर चलनेवाला सीएम करार दिया गया. कर्नाटक के जो अन्य नेता मुख्यमंत्री पद की रेस में थे, वे उम्मीद लगाए बैठे हैं कि यदि बीजेपी हाईकमांड बोम्मई को हटाता है तो उनमें से किसी का नंबर लग सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि बिहार के घटनाक्रम ने बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को उलझाने के साथ चिंतित कर दिया.

    वहां आरसीपी सिंह के भरोसे जदयू को तोड़ने की बीजेपी की योजना धरी रह गई और नीतीश कुमार ने तत्परता से इस्तीफा देकर और फिर राजद के साथ नई सरकार बनाकर बीजेपी के मंसूबों को चौपट कर दिया. इस आघात के चलते बीजेपी ने कर्नाटक में फेरबदल का इरादा फिलहाल टाल दिया और बोम्मई की कुर्सी बच गई. बोम्मई ने कहा कि फिलहाल वे ही राज्य के मुख्यमंत्री हैं और सभी अटकलें निराधार हैं, ये सारी बातें राजनीति से प्रेरित हैं.

    उन्होंने कहा कि इस तरह की बातों से उनका मनोबल और बढ़ गया है तथा वह राज्य व उसके लोगों के लिए अधिक काम करने के लिए प्रेरित हैं. बोम्मई ने कहा कि आनेवाले दिनों में, मैं एक दिन में 2 घंटे अधिक काम करूंगा और राज्य के विकास के लिए अधिक समय दूंगा. इसके पहले कांग्रेस ने बोम्मई से सवाल किया था कि क्या मुख्यमंत्री पद के लिए तलवार की लड़ाई शुरू हो गई है? इसका कारण क्या है? आपकी प्रशासनिक विफलता या नेताओं के बीच की लड़ाई है अथवा येदियुरप्पा का गुस्सा?