सिर्फ 3 हेक्टेयर तक ही क्यों जितनी जमीन उसका पूरा मुआवजा मिले

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    अतिवृष्टि और बाढ़ से अपना सबकुछ गवां चुके किसानों के प्रति राज्य सरकार को और अधिक संवेदनशील व उदार रहना चाहिए था लेकिन उसने ‘रक्षा बंधन’ उपहार के नाम पर एनडीआरएफ के तय मानक की अपेक्षा दोगुना अर्थात प्रति हेक्टेयर 13,600 रुपए मुआवजा देने का निर्णय लिया. मुआवजा देने के लिए 2 हेक्टेयर की सीमा भी बढ़ाकर 3 हेक्टेयर कर दी गई. किसानों को आधी-अधूरी मदद देने की बजाय जितनी जमीन है, उसका पूरा मुआवजा दिया जाना चाहिए. राज्य में भारी वर्षा और बाढ़ की वजह से हुई तबाही का आलम यह है कि 15 लाख हेक्टेयर की फसल नष्ट हो गई है.

    सरकार ने दावा किया कि उसके इस निर्णय का फायदा नागपुर सहित चंद्रपुर, गड़चिरोली, वर्धा व भंडारा सहित राज्य के अन्य जिलों के किसानों को मिलेगा. विपक्ष के नेता अजीत पवार ने आरोप लगाया कि एनडीआरएफ (राष्ट्रीय आपदा राहत कोष) मानदंडों के तहत दोहरी सहायता प्रदान करने का मंत्रिमंडल का निर्णय एक धोखा है क्योंकि एनडीआरएफ के मानदंड समाप्त हो चुके हैं. सरकार भले ही दोहरी सहायता की घोषणा करे लेकिन किसानों को कोई राहत नहीं मिलेगी.

    मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के अलावा विपक्ष के नेता अजीत पवार ने भी  भारी वर्षा से प्रभावित इलाकों का जायजा लिया था. नुकसान प्रभावित किसानों को राहत पहुंचाने की मांग विपक्ष की ओर से की जा रही थी, इसको लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर भी था. भारी बारिश और बाढ़ की वजह से खेतों की मिट्टी बह गई तथा धान, कपास, अरहर, सोयाबीन समेत हर तरह की सब्जियों और फलों के बागों को भी जबरदस्त नुकसान हुआ है. सर्वाधिक क्षति विदर्भ के नागपुर मंडल में हुई है. किसानों को उसकी पूरी जमीन पर हुई क्षति का मुआवजा मिलना चाहिए.