ऐसी भी सत्ता लोलुपता, चंडीगढ़ महापौर चुनाव में भारी धांधली

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हर चुनाव चाहे बड़ा हो या छोटा, बीजेपी-येनकेन प्रकारेण जीतना चाहती है। सत्ता पाने की असीम लालसा के चलते वह कुछ भी कर सकती है। चंडीगढ़ के महापौर पद के चुनाव (Chandigarh Mayor Election) में जैसा ‘खेला’ हुआ वह आगामी चुनाव में भी दोहराया जा सकता है। केंद्र शासित चंडीगढ़ महानगरपालिका की सदस्य संख्या 36 है जिसमें बीजेपी के 16, आम आदमी पार्टी के 13, कांग्रेस के 7 और शिरोमणि अकाली दल का 1 सदस्य है। इस तरह किसी भी पार्टी का बहुमत नहीं है। 

विपक्ष के ‘इंडिया’ गठबंधन में ‘आप’ और कांग्रेस एक साथ आने से उनका संख्याबल 20 हो गया।  इसलिए ‘आप’ का महापौर चुना जाना केवल औपचारिकता थी।  इसके बावजूद लोकसभा से लेकर ग्रामपंचायत तक हर चुनाव जीतने का बीजेपी का पक्का इरादा रहता है। यदि मतदाताओं का उसे समर्थन हो तो बात अलग है लेकिन चंडीगढ़ के चुनाव में सारी निर्वाचन प्रक्रिया को ही ताक पर रख दिया गया। महापौर पद के लिए 18 जनवरी को चुनाव होनेवाला था लेकिन चुनाव अधिकारी के रूप में नियुक्त बीजेपी का नगरसेवक ऐन मौके पर बीमार पड़ गया। चुनाव टलने के खिलाफ ‘आप’ ने अदालत का दरवाजा खटखटाया जिस पर न्यायालय ने 30 जनवरी को चुनाव कराने का आदेश दिया। 

मतदान के पूर्व चुनाव अधिकारी मत पत्रिका पर दस्तखत करते हैं। लेकिन मतदान पूरा हो जाने के बाद चुनाव अधिकारी ने हस्ताक्षर करना शुरू किया।  कुछ मतपत्रों पर कलम से निशान लगाने का वीडियो दिल्ली के सीएम व ‘आप’ के प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर जारी किया।  निशान लगाए गए मतपत्र रद्द करने का नियम है। इस तरह 8 मतपत्र रद्द घोषित किए गए जिस कारण बीजेपी के उम्मीदवार को 16 और ‘आप’ के उम्मीदवार को 12 मत मिले। 

चुनाव अधिकारी ने बीजेपी के मनोज सोनकर को निर्वाचित घोषित किया। ‘आप’ और कांग्रेस के नगरसेवकों ने सवाल किया कि 8 मतपत्र क्यों रद्द किए गए जिसका चुनाव अधिकारी ने कोई जवाब नहीं दिया। बीजेपी ने महापौर का चुनाव जीतने के लिए सारे मूल्यों और सिद्धांतों को पैरों तले रौंद दिया।  देश के 15 से अधिक राज्यों में बीजेपी की सत्ता है। 

विविध संस्थाएं उसके कब्जे में हैं फिर भी एक महानगरपालिका की सत्ता हासिल करने के लिए ऐसी धांधली की गई। प्रश्न है कि जब केवल 36 वोटों की गिनती में ऐसी गड़बड़ी की गई तो क्या करोड़ो मतदाताओं का लोकसभा चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष रूप से हो पाएगा? पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने ‘आप’ की याचिका दाखिल कर केंद्र शासित प्रदेश के प्रशासन से 3 सप्ताह में जवाब मांगा है।