Editorial Rahul Bajaj was a stalwart industrialist who did not compromise on principles

बजाज स्कूटर के साथ उनका ‘हमारा बजाज’ स्लोगन घर-घर में पहुंच गया था.

    Loading

    स्व. राहुल बजाज एक ऐसे उद्योगपति थे जिन्होंने कभी सिद्धांतों से समझौता नहीं किया. चाहे कोई कितना भी बड़ा व्यक्ति हो उसे आईना दिखाने और दो टूक बात कहने में जरा भी नहीं हिचकिचाते थे. वे भारतीय उद्योग जगत की निर्भीक आवाज थे. 2002 के गुजरात दंगों के बाद जब भारतीय उद्योग महासंघ ने गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी का सत्कार किया तो राहुल बजाज ने उनसे सीधा सवाल किया था कि क्या गुजरात निवेशकों के लिहाज से सुरक्षित है?

    नवंबर 2019 में गृहमंत्री अमित शाह, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण व वाणिज्यमंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में भाषण देते हुए राहुल बजाज ने कहा था कि हमारे उद्योगपति मित्रों में से कोई नहीं कहेगा लेकिन मैं खुलकर कहूंगा कि यूपीए 2 में हम किसी की भी आलोचना कर सकते थे. आप लोग अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन हमें विश्वास नहीं है कि यदि हम आपकी खुलकर आलोचना करें तो आप इसे पसंद करेंगे! इसके लिए वातावरण बनाना होगा.

    बजाज खुद को एंटी एस्टैब्लिशमेंट (प्रतिष्ठान विरोधी) बताया करते थे. उन्होंने हमेशा भारत और उसके उद्योगों में विश्वास जताया. वे जो सही महसूस करते थे, बेखटके बोल दिया करते थे. वे व्यवसाय में ईमानदारी और सिद्धांतवादिता के पक्ष में थे. महात्मा गांधी के निकट सहयोगी जमनालाल बजाज के पौत्र राहुल बजाज ने 1970-71 के लाइसेंस राज के जमाने में सरकार की नीतियों को चुनौती देते हुए कहा था कि वे अधिक तादाद में स्कूटर बनाना चाहते हैं.

    बजाज स्कूटर के साथ उनका ‘हमारा बजाज’ स्लोगन घर-घर में पहुंच गया था. उन्होंने भारत के विकास के सपनों को गति दी. अपने उद्योग समूह में उन्होंने बीमा, निवेश, डोमेस्टिक एप्लायंस आदि का समावेश किया. वे 1986-89 तक इंडियन एयरलाइंस के चेयरमैन रहे. राहुल बजाज राज्यसभा सदस्य रहे और 2001 में उन्हें पद्मभूषण से नवाजा गया. स्कूटर निर्माण से वे भावनात्मक रूप से जुड़े थे लेकिन उनके बेटों ने नई पीढ़ी की पसंद देखते हुए स्कूटर की बजाय मोटर साइकिल का निर्माण पसंद किया.