जूनियर रेसलर्स के पीछे कौन, पहलवानों में तनातनी से कुश्ती पर ग्रहण

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माना जा सकता है कि भारतीय कुश्ती महासंघ (Indian Wrestling Federation) के निलंबन के फैसले की कुछ न कुछ प्रतिक्रिया अवश्य होनी ही थी. क्योंकि इस निर्णय से महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) को करारा झटका लगा था जो कि बीजेपी के सांसद भी हैं. बृजभूषण के करीबी संजय सिंह के अध्यक्ष निर्वाचित होने का ओलंपिक विजेता साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया के अलावा विनेश फोगाट ने तीव्र विरोध किया था. इन तीनों पहलवानों ने ब्रजभूषण पर यौन उत्पीड़न का गंभीर आरोप लगाकर दिल्ली में आंदोलन किया था. उन्होंने विरोध दर्शाते हुए अपने खेलरत्न और अर्जुन पुरस्कार कर्तव्यपथ पर छोड़ दिए थे.

इसके बाद सरकार ने दबाव में आकर संजय सिंह का चुनाव रद्द कर दिया और कुश्ती महासंघ को निर्वाचित कर दिया. इसके बाद भी बृजभूषण शरण सिंह की अकड़ कम नहीं हुई. अब साक्षी, विनेश और बजरंग के खिलाफ जूनियर पहलवानों ने मोर्चा खोल दिया. अनुमान है कि उन्हें ऐसा करने के लिए बृजभूषण की ओर से संकेत व प्रोत्साहन मिला होगा.

दिल्ली के जंतरमंतर पर 100 से ज्यादा जूनियर रेसलर्स ने प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि साक्षी मलिक, बजरंग पूनिया और विनेश फोगाट की वजह से उनके करिअर का एक वर्ष बर्बाद हो गया. ये पहलवान बसों में सवार होकर यूपी, हरियाणा और दिल्ली के विभिन्न इलाकों से आए हैं.

उनकी मांग है कि भारतीय कुश्ती संघ के निलंबन के फैसले को केंद्र सरकार वापस ले. इन जूनियर पहलवानों और उनके कोचों ने चेतावनी दी कि अगर महासंघ को बहाल नहीं किया जाता तो ये अपने अर्जुन अवार्ड वापस कर देंगे. उनका कहना है कि साक्षी, विनेश व पूनिया के आंदोलन के चलते उनके इवेंट नहीं हो पा रहे हैं.

जूनियर पहलवानों ने सीनियर पहलवानों के खिलाफ नारेबाजी की. उनके एक वेंजर पर लिखा था- कर दिया देश की कुश्ती को बर्बाद, साक्षी, पूनिया और विनेश फोगाट! साफ नजर आ रहा है कि जूनियर पहलवानों का प्रदर्शन प्रायोजित है उन्हें आगे रखकर बृजभूषण शरण सिंह ताकत की आजमाइश कर रहे हैं.

इसके पहले भी उन्होंने बयान दिया था कि वे फेडरेशन के निलंबन को नहीं मानते. जूनियर पहलवानों को शोषण से बचाने के लिए ही साक्षी, बजरंग और विनेश ने आवाज बुलंद की थी. वह भी अपनी लड़ाई में अकेले नहीं है. हरियाणा में उनका आधार है और किसान नेता भी उनके साथ है. बृजभूषण की दबंगीयत से वे दबाव में नहीं आए थे. फिलहाल पहलवानों में तनातनी होना कुश्ती के भविष्य के लिए प्रतिकूल है.