बदहाल व्यवस्था के कारण महाराष्ट्र में फिर लोडशेडिंग का कहर

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    महाराष्ट्र में अधिक बिजली दर के बावजूद जनता को लोडशेडिंग की परेशानी झेलनी पड़ रही है. कुछ स्थानों पर 8 घंटे तक लोडशेडिंग करने का फैसला लिया गया है. इससे उद्योग-व्यापार व जनजीवन पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा. गर्मी के मौसम में जब तापमान 40 डिग्री से ऊपर रहता है, बिजली गुल हो जाना अत्यंत कष्टदायक है.

    फैन, कूलर, एसी सभी बंद हो जाते हैं. मोटरपंप बंद रहने से बड़ी इमारतों की टंकी तक पानी नहीं पहुंचाया जा सकता. नलों की वाटर सप्लाई भी इससे प्रभावित होती है. नाशिक, अहमदनगर, मराठवाड़ा के विभिन्न हिस्सों में बिजली कटौती की गई है. 

    विदर्भ में भी बिजली की आंखमिचौली देखी जा रही है. यह दलील दी जा रही है कि बिजली की मांग, आपूर्ति से अधिक होने के कारण महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लि. को लोडशेडिंग का फैसला करना पड़ा. गर्मी का मौसम होने से राज्य में बिजली की मांग बढ़ गई और पिछले कुछ दिनों में 28,000 मेगावाट को पार कर गई. इसलिए उन क्षेत्रों में लोडशेडिंग की गई जहां हाईट्रांसमिशन तथा वितरण का नुकसान है. यह कहा गया है कि पारेषण और वितरण क्षति जितनी होगी, लोडशेडिंग भी उतनी ही अधिक होगी. 

    गर्मी के समय बिजली की खपत बढ़ना स्वाभाविक है इसलिए विद्युत विभाग को इसके लिए समुचित तैयारी रखनी चाहिए. एक बड़ी समस्या बिजली चोरी की है, जिसका खामियाजा ईमानदारी से बिल अदा करने वाले ग्राहकों को उठाना पड़ता है. बिजली की चोरी सख्ती से रोकने की आवश्यकता है. कुछ ऐसे भी इलाके हैं जहां खुलेआम तार पर हुक डालकर बिजली चोरी होती है. उनकी मुफ्तखोरी से बाकी लोगों को परेशानी होती है.

    विद्युत विभाग ने सबसे खराब रिकार्ड वाले फीडरों को जी1, जी2 और जी3 श्रेणियों में वर्गीकृत किया है. यहां विजिलेंस बढ़ाने की आवश्यकता है. यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि जिन इलाकों में विद्युत बिल का नियमित भुगतान होता है, उन्हें लोडशेडिंग से मुक्त रखा जाए.