निष्ठा यात्रा व शिव संवाद आदित्य ठाकरे भी उतरे मैदान में

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    आखिर आदित्य ठाकरे ने वक्त की नजाकत को समझा और पार्टी की बिगड़ी हालत सुधारने के लिए मैदान में उतर पड़े. आम तौर पर शांत रहनेवाले आदित्य अब आक्रामक तेवर दिखाने लगे हैं. वे शिवसेना का डगमगाता जनाधार मजबूत करने के लिए ‘निष्ठा यात्रा’ और ‘शिव संवाद’ अभियान चला रहे हैं. 21 जून को पार्टी में बगावत शुरू होने के बाद से आदित्य मुंबई और उसके आसपास लगने वाली शिवसेना की शाखाओं में भी जाने लगे हैं.

    पार्टी को संकट से बचाना उनकी प्राथमिकता बन गया है. एक समय आदित्य ठाकरे की इसलिए आलोचना होती थी कि वे बॉलीवुड सितारों व हस्तियों के साथ व्यस्त रहते हैं, लेकिन अब वे पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ वक्त बिताते हैं. ऐसे समय जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली शिवसेना पर संकट मंडरा रहा है और पार्टी पर कब्जा के लिए कानूनी दांव-पेंच भी जारी है, तब आदित्य ठाकरे शिवसेना का जनाधार फिर से मजबूत करने के लिए बागी शिवसेना विधायकों के क्षेत्रों में दौरा कर रहे हैं. वे इन इलाकों में पार्टी की विरासत और खोई हुई प्रतिष्ठा बरकरार रखने के लिए प्रयासरत हैं.

    शिवसेना की स्थापना के बाद से वैसे तो पार्टी में कई बार बगावत हुई लेकिन इस बार की बगावत ज्यादा बड़ी व उलटफेर करनेवाली निकली. आदित्य ठाकरे को न केवल पार्टी की साख बचानी है, बल्कि स्वयं के भविष्य की राजनीति को आकार भी देना है. वे माथे पर लाल तिलक भी लगाने लगे हैं. यह संकेत है कि शिवसेना न सिर्फ हिंदुत्व की राह पर लौट रही है, बल्कि कांग्रेस व एनसीपी के साथ आघाड़ी गठबंधन करने और सरकार बनाने से पैदा हुए पहचान के संकट को खत्म कर अपने वास्तविक रूप में आ रही है. आदित्य बार-बार बागी विधायकों को देशद्रोही बताकर उन पर निशाना साध चुके हैं.