मृत्युदंड तक का प्रावधान, दुष्कर्मियों का काल बनेगा शक्ति कानून

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    दिल्ली के निर्भया कांड के बाद से समूचे देश में दुष्कर्मी हत्यारों के खिलाफ भारी दोष देखा गया था. फिर आंध्रप्रदेश में भी डाक्टर की पढ़ाई कर रही युवती को सामूहिक दुष्कर्म कर पेट्रोल डालकर जलाने की रोंगटे खड़े कर देने वाली घटना हुई. इंसानियत को कलंकित करने वाले ऐसे प्रकरणों को देखते हुए महाराष्ट्र में महिलाओं के साथ दुष्कर्म या एसिड फेंकने जैसे जघन्य मामलों में अब दरिंदे अपराधियों के खिलाफ अत्यंत कठोर कानून लागू किया जाएगा.

     आंध्रप्रदेश के ‘दिशा’ कानून के समान महाराष्ट्र में ‘शक्ति’ कानून लागू होगा जिसे विधानसभा ने सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी है. विधान परिषद में अनुमोदन के बाद राज्यपाल की मंजूरी मिलने पर यह कानून अमल में आ जाएगा. इस कानून में महिला अत्याचार के आरोपी के खिलाफ 21 दिन के भीतर चार्जशीट दाखिल करनी होगी.

    सामूहिक दुष्कर्म या ऐसे दुर्लभ मामलों पर मृत्युदंड का प्रावधान है. 5 से 16 वर्ष की बच्ची से सामूहिक दुष्कर्म करने पर 10 लाख रुपए का जुर्माना या आजीवन कारावास की सजा दी जाएगी. एसिड हमले में अपराध सिद्ध होने पर 10 वर्ष की सजा को बढ़ाकर 15 वर्ष किया गया है.

     जुर्माने की रकम से पीड़ित महिला की प्लास्टिक सर्जरी का खर्च देने का प्रावधान विधेयक में किया गया है. वर्धा जिले के हिंगणघाट में एक महिला पर एसिड अटैक की घटना के बाद महाराष्ट्र सरकार ने आंध्रप्रदेश के दिशा कानून के समान नया कानून बनाने का निर्णय लिया था.

    कानून की जानकारी लेने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री अनिल देशमुख और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने आंध्रप्रदेश दौरा किया था. शक्ति विधेयक में यह प्रावधान है कि किसी भी यौन अपराध की जांच में अधिकारियों द्वारा संबंधित मोबाइल, इंटरनेट डेटा प्रदान करने वाली कंपनी से मांगी गई जानकारी 3 दिनों के भीतर दस्तावेज और इलेक्ट्रानिक सबूतों के रूप में उपलब्ध करानी होंगी. ऐसा न करने पर संबंधित अधिकारियों को 3 माह कैद व 25 लाख रुपए जुर्माने की सजा दी जा सकती है. 

    माना जा रहा है कि ऐसा कड़ा कानून लागू होने से अपराधियों में दहशत रहेगी लेकिन दूसरी ओर कानून के रखवालों को यह भी ध्यान रखना होगा कि कड़ी सजा को देखते हुए अपराधी पीड़िता की हत्या करने और सबूत गायब करने की कोशिश भी कर सकते हैं.