मणिपुर में हिंसा, CM ने माना राज्य संभल नहीं रहा

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पूर्वोत्तर का राज्य मणिपुर 3 मई 2023 से जातीय हिंसा (Violence in Manipu) की आग में झुलस रहा है. अब तक 189 बेकसूर लोगों की जान जा चुकी है. मैतेई और कुकी मौका मिलते ही एक दूसरे की जान लेने से पीछे नहीं हैं. दोनों की दुश्मनी का नागा उग्रवादी भी भरपूर फायदा उठा रहे हैं. सीएम एन बीरेन सिंह (CM N Biren Singh) अपरोक्ष रूप से मैतेई समर्थक माने जाते हैं. वे इसी समुदाय से आते भी हैं. सरकार के मुखिया की भूमिका में वे राज्य में शांति को अपना पहला लक्ष्य लगातार बताते आ रहे हैं.

हालांकि यही मैतेई समुदाय राज्य में केंद्रीय सुरक्षाबलों की तैनाती के खिलाफ भी है. रह-रहकर वह असम राइफल्स को वापस भेजने की पुरजोर मांग करता आ रहा है, साथ ही कुकी समझौते को भी रद्द करने की मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं है. इधर कुकी समुदाय बीते 9 माह से अलग प्रशासन या फिर कहें कि अलग राज्य की मांग को लेकर डटा हुआ है. अपनी इस मांग के लिए समुदाय के 16 विधायकों को बीरेन सरकार से बाहर आने की धमकी भी दी जा चुकी है.

दोनों जातियों के प्रतिनिधिमंडल अपने-अपने स्तर पर सीधे केंद्र सरकार या यूं कहें कि गृहमंत्री अमित शाह से लगातार मुलाकात भी कर रहे हैं. इस सबके बावजूद राज्य में शांति बहाली का रास्ता अब तक नहीं निकला है. सेना के कमांडर स्पष्ट कर चुके हैं कि जब तक पुलिस और सेना से लूटे गए हजारों हथियारों की पूरी बरामदगी नहीं हो जाती, तब तक मणिपुर में शांति संभव नहीं है. इसके लिए प्रभावी और व्यापक सर्च अभियान पूरे राज्य में चलाने की जरूरत है. 

साथ ही हिंसा फैलाने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन भी आवश्यक है. सेना यह राय पिछले कुछ माह में 3 बार मोडिया के समक्ष रख चुकी है. जाहिर है इन हालातों से उसने राज्य के साथ- साथ केंद्र को भी निश्चित ही अवगत करवाया होगा.

ऐसे हालातों के बीच मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने केंद्रीय सुरक्षा बलों को निशाने पर लेते हुए कहा कि “केंद्रीय सुरक्षा बलों, आपको यहां निरीक्षण करने या यह देखने के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है कि क्या हो रहा है. आपको राज्य की अखंडता, निर्दोष लोगों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा के लिए यहां आमंत्रित किया गया है.” स्पष्ट रूप से उनका इशारा इस महीने की ताजा हिंसक वारदातों की ओर था. जिसमें चुराचांदपुर के पास हाओतक फेलेन, बिष्णुपुर जिले के निंगथौखोंग खा खुनोऊ और मोहेर जिला शामिल है. यहां कम से कम 8 लोगों की जान चली गई. उनके इस बयान को सेना के निष्प्रभावी माने जाने से इतर देखा जाए तो यह समझा जा सकता है कि बीरेन सिंह से अव राज्य संभलता नहीं दिख रहा है. 

तभी वे भड़कते मणिपुर की जिम्मेदारी स्वयं लेने के बजाय सेना को मोहरा बनाने में लगे हैं. जबकि सेना सिर्फ और सिर्फ आदेशों का पालन करती है. केंद्रीय सुरक्षा बलों की इस आलोचना के बाद बीरेन सिंह के इस्तीफे की संभावना भी प्रबल होती दिख रही है. हालांकि वे इस संभावना को पिछली बार की तरह ही महज अटकलें बताते हुए इस्तीफे को लेकर कोई निर्णय नहीं लेने की बात ही कह रहे हैं. वे यह भी कहते हैं कि हमें एक ठोस निर्णय लेना होगा, ताकि लोगों की सुरक्षा की जा सके.

चर्चा में निर्णय लिया गया कि मणिपुर के मौजूदा हालातों को केंद्र सरकार के सामने उठाया जाएगा, अत्यावश्यक मुद्दों का समाधान नहीं किया गया तो बीरेन सिंह इस्तीफा देकर खुद को बरी भी कर सकते हैं.