सुरक्षा को लेकर आशंका, विदेशी नागरिकता ले रहे लोग

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    पिछले 5 वर्षों में 6,00,000 से अधिक भारतीयों ने अपनी नागरिकता छोड़कर विदेशी नागरिकता अपना ली है. कितने ही लोगों के लिए आश्चर्य एवं चिंता का विषय हो सकता है कि ऐसा क्यों हुआ और इसकी वजह क्या है? क्या लोगों में देशप्रेम नहीं है जो परदेस में जाकर बस रहे हैं? भारतीयों के विदेश जाकर बसने के पीछे विभिन्न कारण हो सकते हैं. एक बड़ी वजह देश में बिजनेस के क्षेत्र में काफी अड़चनों का होना है. भारत में उद्योग-व्यवसाय खोलना सुगम नहीं है. नियम-कानूनों तथा विभिन्न शर्तों की जकड़न में रहकर काम करना पड़ता है. 

    भ्रष्टाचार व लालफीताशाही भी काफी है. कुछ राज्यों में माफिया सक्रिय है जो उद्योजकों से वसूली करता है तो कहीं प्रोटेक्शन मनी देना पड़ता है. इसके अलावा लोग अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर भी काफी चिंतित रहते हैं, इसलिए भी भारत से उनका दिल उचट रहा है. एक अन्य वजह यह भी है कि विदेश में प्रतिभाशाली लोगों के लिए तरक्की के बहुत अवसर हैं. विदेश में जा बसी नई पीढ़ी अपने पालकों को वहां बुला लेती है.

    भविष्य की अनिश्चितता भी लोगों को देश छोड़ने को विवश करती है. जिसे विदेश भा गया, उसे अपने देश की तंग बस्तियां, भीड़भाड़, प्रदूषण, अनियंत्रित ट्रैफिक तथा सिविक सेंस का अभाव पसंद नहीं आता. कुछ को अपनी योग्यता के मुताबिक काम या तरक्की का अवसर नहीं मिल पाता इसलिए प्रतिभा पलायन या ब्रेन ड्रेन की समस्या उत्पन्न होती है. कुछ को विदेश में मिलने वाले अधिक वेतन और सुविधाओं का आकर्षण रहता है. विदेश मंत्रालय की जानकारी के अनुसार लगभग 1 करोड़ 34 लाख भारतीय विदेशों में रह रहे हैं. अमेरिका में ग्रीन कार्ड मिलने के कुछ वर्ष बाद भारतीय स्वेच्छा से वहां की नागरिकता ले लेते हैं.