लक्षद्वीप प्रशासक प्रफुल पटेल लगातार विवाद में

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    केंद्र शासित लक्षद्वीप के प्रशासक प्रफुल खोडा पटेल के तानाशाही तौर-तरीकों को लेकर वहां की मुस्लिम बहुल आबादी में काफी असंतोष है. वहां इस समुदाय के लगभग 70,000 मछुआरों को बेदखल कर दिया गया. ऐसा आरोप है कि प्रशासक के जरिए लक्षद्वीप में भगवा एजेंडा चलाया जा रहा है. केरल विधानसभा ने लक्षद्वीप के लोगों के साथ एकजुटता पर जोर देते हुए प्रशासक प्रफुल खोडा पटेल को वापस बुलाए जाने की मांग की है तथा केंद्र से तत्काल हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है ताकि लोगों के जीवन और आजीविका की रक्षा हो सके.

    केरल और लक्षद्वीप के लोगों के ऐतिहासिक व सांस्कृतिक संबंध रहे हैं. प्रफुल खोडा पटेल लगातार विवाद में रहे हैं. जब वे दादरा और नगर हवेली के प्रशासक थे, तब वहां के निर्दलीय सांसद मोहन डेलकर के आत्महत्या प्रकरण में उनका नाम आया था. कांग्रेस के प्रवक्ता पवन खेडा ने कहा था कि मोहन डेलकर 16 पृष्ठों का सुसाइड नोट छोड़ गए जिसमें पटेल पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया गया है. निर्दलीय चुने जाने के बाद से ही उन्हें सताया जाने लगा था. डेलकर अपने चुनाव क्षेत्र के काम में बाधा पहुंचाए जाने और लगातार अपमानित किए जाने की वजह से काफी परेशान थे. डेलकर के मेडिकल कालेज और आदिवासी भवन गिराने की कोशिश भी की गई थी. मुंबई के एक होटल में उनका शव पाया गया. प्रफुल खोडा पटेल गुजरात के हिम्मतनगर से 2007 से 2012 तक विधायक रह चुके थे. वे गुजरात के गृह राज्यमंत्री भी रह चुके हैं तथा आरएसएस के करीबी माने जाते हैं.