अब भूल जाओ सारी प्राइवेसी, आप पर निगाह रख रही एजेंसी

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पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, 1948 में जॉर्ज ऑरवेल नामक लेखक ने ‘1984’ नामक सनसनीखेज उपन्यास लिखा था जिसमें बताया गया था कि ऐसा समय आएगा जब किसी की कोई निजता या प्राइवेसी नहीं रह जाएगी।  एक बिग ब्रदर होगा जो हर व्यक्ति की सारी गतिविधियों की निगरानी रखेगा।  वह अपने यंत्रों और शासन तंत्र से सभी के कार्यकलाप देखता रहेगा।  सभी उससे डरेंगे।  किसी की जिंदगी गोपनीय या व्यक्तिगत नहीं रह जाएगी।  यह थ्योरी सच साबित हो रही है।  केंद्र सरकार ने मोबाइल, लैपटाप, निजी कंप्यूटरों व इंटरनेट एप व बैंक डिटेल से कोई भी डेटा निकाल सकने का अधिकार 10 सरकारी जांच एजेंसियों को दे रखा है।  इसका मतलब यह हुआ कि आपकी बातचीत, आपसी संवाद, लेनदेन, आपके विचार, रुचियां, रुझान और गतिविधियां कुछ भी गोपनीय नहीं हैं। ’’

हमने कहा, ‘‘यह तो तानाशाही हो गई लोगों की निजी जिंदगी में ताकझांक करना उनके निजता या प्राइवेसी के अधिकार का सरासर उल्लंघन है।  लोकतंत्र में ऐसा हरगिज नहीं होना चाहिए।  आपको पता ही नहीं कि आपकी बातचीत कहां रिकार्ड हो रही है।  आपका डेटा किन हाथों में पहुंच रहा है। ’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सरकार ने इंटेलिजेंस ब्यूरो (आईबी) सीबीआई, रेवेन्यू इंटेलिजेंस, एनआईए, रॉ, दिल्ली पुलिस, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो, ईडी आदि एजेंसियों को किसी भी कंप्यूटर से निकल रहे या वहां स्टोर किए गए डेटा को रोकने, जांच करने और जानकारियों को जब्त करने के अधिकार दिए हैं। ’’

हमने कहा, ‘‘जिस पर शक हो उसकी जांच करना अलग बात है लेकिन देश के नागरिकों पर इस तरह वाच रखना और उनकी निजी जिंदगी में झांकना सरासर गलत है।  इससे तो लोग डर-डर कर जिएंगे जैसे रूस, चीन और उत्तर कोरिया में रहा करते हैं।  यह कदम लोकतंत्र, आजादी और प्राइवेसी के अधिकार को पैरों तले रौंदनेवाला है।  यह सब क्यों हो रहा है?’’

पड़ोसी ने कहा, ‘‘जब आप किसी विपक्षी दल के नेता-कार्यकर्ता नहीं हैं तो डरने की जरूरत नहीं है।  अमृतकाल की अमृतबेला में भक्त बन जाइए।  सारा संकट टल जाएगा। ’’