चुनाव जीतने पर जंगी सत्कार, नेता के गले में पुष्पहार का भार

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चुनाव जीतने के बाद नेता का शानदार सत्कार हुआ. इसके तुरंत बाद उनकी गर्दन में दर्द होने लगा. उन्होंने शहा के एक्सपर्ट डाक्टर को बुलवाया. डॉक्टर ने कहा, आपको पुष्पमाला रोग या गारलैंड डिजीज है. आमतौर पर यह रोग गर्दन और कंधे पर असर डालता है. जब तक आप नेतागीरी करेंगे, इससे बच नहीं सकते. नेता को कुछ समझ में नहीं आया.

उन्होंने डॉक्टर से कहा- आप शहर के मशहूर मेडिकल कंसल्टेंट हैं. यह बीमारी कहां से और कैसे फैलती है? क्या हम इस संबंध में जांच समिति गठित कर दें? डाक्टर ने कहा, आपने गर्दन की तकलीफ के बारे में पूछा है जिसके लिए आपके कार्यकर्ता और समर्थक जिम्मेदार है.

वे चाहते है कि आप मंच से गर्दन झुकाकर उनकी ओर देखें. आपकी तनी हुई गर्दन झुकाने के लिए वे बंगलुरु फार्मूले का उपयोग करते है और जानबूझकर आपकी गर्दन झुकाने के लिए 35-40 किलो का हार पहना देते हैं. उस समय आपको खुशी और फूलों की खुशबू की वजह से कुछ महसूस नहीं होता लेकिन बाद में पता चलता है कि गर्दन में मोच आ गई. नेता ने कहा, डॉक्टर, हमारे कार्यकर्ताओं के खिलाफ हम कुछ सुनना नहीं चाहते. बंचने चार-चार लोग मिलकर यह हार हमारे गले में पहनाते हैं.

क्या हम गर्दन के मामूली दर्द की वजह से उन्हें मना कर दें. फूलों से भी कभी किसका कुछ बिगड़ा है? डॉक्टर ने कहा, श्रीमान यदि आपको शास्त्रीय संगीत का शौक हो तो आपने गाना सुना होगा- फुलगेंदवा न मारो, लगत करेजवा में चोट! नेता ने कहा, हमारा कलेजा काफी मजबूत है. हम अपने निष्ठावान कर्मठ कार्यकर्ताओं का उत्साह भंग नहीं कर सकते.

वे चाहें तो हमें गर्दन से लेकर नाक तक हार हना दें. जब हम सत्ता का बोझ उठा सकते हैं तो फूलों के बोझ में क्या रखा है? ज्यादा हार पहनने से गर्दन दुखेगी तो हम खुद बाम चुपड़कर या दर्दनिवारक स्प्रे मारकर उसका इलाज कर लेंगे. नेताओं की तबियत उस दिन खराब होती है जिस दिन उन्हें बड़ी संख्या में हार नहीं पहनाए जाते.

हम गर्दन का दर्द सह सकते हैं, दिल का बोझ नहीं. डॉक्टर साहब समझ गए कि नेता का इलाज करना उनके बूते की बात नहीं है. वे अपना बैग उठाकर चलते बने.