शीत सत्र खानापूरी कारोबार, 3 दलों की सरकार, विपक्ष निकालेगा गुबार

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, महाराष्ट्र विधानसभा के शीत सत्र पर अनिश्चितता का साया मंडरा रहा है. अभी सरकारी इमारतों का रंगरोगन भी नहीं हुआ है. उपराजधानी नागपुर में सत्र होगा या नहीं?’’ हमने कहा, ‘‘सरकार चाहे तो सब कुछ आनन फानन में हो सकता है. नागपुर करार के मुताबिक यह सत्र नागपुर में होता ही है. सरकार इसे शार्ट एंड स्वीट रखने का प्रयास करती है और एक या 2 हफ्ते में समेट लेती है. विधायक अपने साथ नागपुर की संतरा बर्फी लेकर वापस लौट जाते हैं. कई वर्ष पहले हुड्डा पार्टी होती थी लेकिन हाइब्रिड ज्वार आने के बाद से हरी ज्वार का हुड्डा नहीं बनता.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, सत्र नागपुर में हो या मुंबई में, मुद्दे क्या उठेंगे? 3 दलों की सरकार पर विपक्ष कौन सा गुबार निकालेगा?’’ हमने कहा, ‘‘बीजेपी किसानों की कर्ज माफी के अलावा भ्रष्टाचार के मुद्दे पर सरकार को घेरेगी. बीजेपी के पूर्व सांसद किरीट सोमैया ने पहले ही आघाड़ी के खिलाफ काफी माहौल बना दिया है. उन्होंने 3 पार्टियों पर 40-40-20 प्रतिशत के हिसाब से भ्रष्टाचार की कमाई शेयर करने का आरोप लगाया है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘ऐसे आरोप लगाना हवा में तलवार मांजने जैसी बात है. जहां तक आघाड़ी सरकार की बात है, वह केंद्रीय जांच एजेंसियों ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई, नारकोटिक्स ब्यूरो आदि के दुरुपयोग का मुद्दा उठाएगी. एनपीपी नेता व मंत्री नवाब मलिक के तीखे तेवर आप देख ही रहे हैं. शिवसेना भी बीजेपी पर आक्रामक बनी हुई है.’’ 

    हमने कहा, ‘‘एसटी कर्मचारियों का आंदोलन भी अहमियत रखता है. पक्ष और विपक्ष के बीच टकराव के अनेक मुद्दे हैं.’’ पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज शीत सत्र एक औपचारिकता या कर्मकांड है जिसे जल्दी ही समेट लिया जाता है. इसमें दिए गए आश्वासन पूरे नहीं हो पाते. सप्ताहांत में मंत्री-विधायक अपने ठिकानों पर लौट जाते हैं. फाइलें जैसी बंधी हुई है वैसी ही वापस मुंबई भेज दी जाती है. यह सत्र ऐसा है जैसे चार दिन की चांदनी, फिर अंधेरी रात है.’’