पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने मध्यप्रदेश के मतदाताओं से कहा है कि यदि बीजेपी को वोट दोगे तो मुफ्त में अयोध्या ले जाकर रामलला के दर्शन कराएंगे. क्या यह चुनाव में दिया जानेवाला प्रलोभन और धार्मिक भावनाओं का दोहन है?’’
हमने कहा, ‘‘यह प्रलोभन नहीं, बल्कि पुण्य का काम हैं? किसी को तीर्थयात्रा कराना कितनी अच्छी बात है. इससे जन्म-जन्म के पाप धुल जाते हैं. श्रवणकुमार ने अपने वृद्ध व नेत्रहीन माता-पिता को कांवड़ में बिठाकर तमाम तीर्थों की यात्रा कराई थी. यदि एमपी में बीजेपी जीती तो अमित शाह बसों में भर-भरकर लोगों को अयोध्या ले जाएंगे. अयोध्या में रामलला और सरयू के दर्शन कर मध्यप्रदेशवासी कृतकृत्य हो जाएंगे.
अयोध्या की महिमा के बारे में कहा गया है- काशी बड़ी गोदावरी, तीरथ बड़े प्रयाग, सबसे बड़ी अयोध्या जहां राम लीन्ह अवतार! महाराजा दशरथ अयोध्या के प्रतापी राजा थे जिन्होंने अपनी पत्नी कैकयी के साथ देवासुर संग्राम में देवताओं की ओर से भाग लिया था. उनके लिए कहा गया है- राम-राम सब कोई कहें, दशरथ कहे ना कोय, एक बार दशरथ कहे, कोटि यज्ञ फल होय! किसी को ऐसी अयोध्यापुरी के दर्शन कराने से असीम पुण्य की प्राप्ति होगी.’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अमित शाह का लक्ष्य बीजेपी को विजय दिलाना है, रामलला का मुफ्त दर्शन कराना तो एक बहाना है. चुनाव के बाद कौन अपना वादा याद रखता है. राजनीति की बाजी जुमलेबाजी से जीती जाती है. जनता कहीं की भी हो, उसका मुफ्त के प्रति बड़ा आकर्षण होता है. कंपनियां और मॉल्स 2 खरीदने पर 1 आइटम मुफ्त देने का ऑफर देते हैं तो ग्राहकों की भीड़ उमड़ पड़ती है और स्टॉक भी जल्दी से बिक जाता है क्योंकि लोग जरूरत न होने पर भी ज्यादा की खरीदी करते हैं. यह मुफ्तवाले ऑफर का कमाल है. मुफ्तखोरी की संस्कृति कहां नहीं है! बिना मेहनत किए लोग मुफ्त में बहुत कुछ पाना चाहते हैं उन्हें मुफ्त बिजली, मुफ्त पानी, मुफ्त राशन चाहिए. प्रधानमंत्री मोदी ने भी 80 करोड़ देशवासियों को अगले 5 वर्षों तक मुफ्त अनाज देने की योजना जारी रखने का वादा किया है. लोग सक्षम बनने की बजाए मुफ्तखोर बनना पसंद करते हैं. आपने सुना ही होगा- मुफ्त का चंदन घिस मेरे नंदन!’’