नेहरू को पसंद था गुलाब आज सब तरफ कमल की छाप

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज हमें गुलाबी रंग और गुलाब के फूल बहुत पसंद हैं. नूरजहां ने गुलाब के फूल से इत्र बनाने का आविष्कार किया था. देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को भी अपनी शेरवानी के बटन होल में ‘लाल गुलाब का फूल’ लगाने का शौक था. आपने गीत सुना होगा- फूल गुलाब का, लाखों में हजारों में चेहरा जनाब का!’’

    हमने कहा, ‘‘कमल वाली पार्टी के जमाने में गुलाब की याद क्यों कर रहे हैं. देश के 18 राज्यों में कमल खिला हुआ है. आपरेशन लोटस के जरिए और भी राज्यों में कमल खिलाने की तैयारी है. भारत की संस्कृति कमल प्रधान रही है. धन संपदा की देवी लक्ष्मी कमल आसन पर विराजमान रहती है. ब्रम्हा भी भगवान विष्णु की नाभि से निकले कमल पर विराजमान हैं. छत्तीसगढ़ और राजस्थान से तालाब, ताल-तलैया बहुत है. बीजेपी वहां भी कमल उगाने की उम्मीद करती है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, गुलाब पर केंद्र सरकर की टेढ़ी नजर है. गुलाब जल और गुलाब के इत्र पर 18 प्रतिशत जीएसटी है. अलीगढ़् और हाथरस का गुलाब इत्र बनाने के लिए श्रेष्ठ माना जाता है. मुलायमसिंह और अखिलेश यादव का कन्नौज इत्र बनाने के लिए मशहूर है. 125 क्विंटल गुलाब के फूलों से 1 किलो रोज आइल या गुलाब का तेल निकलती है. कमल के फूल से न इत्र बनता है न तेल कमल की सुंदरता से मोहित होनेवाले भौंरे या भ्रमर का बुरा हाल होता है. वह कमल की पंखुड़ियों में कैद हो जाता है और वहीं दम तोड़ देता है.’’

    हमने कहा, ‘‘दोनों फूलों की अपनी महत्ता है. गुलाब कभी कमल नहीं बन सकता और कमल भी गुलाब जैसा सुगंधित नहीं बन सकता. शकील बहायूनी का यह शेर आज के राजनीति से मेल खाता है. कांटों से गुजर जाता हूं दामन को बचाकर, फूलों की सियासत से बेगाना नहीं हूं.’’