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विश्व का एकमात्र सुपरपावर अमेरिका भी इस महामारी के पावर के सामने कमजोर पड़ गया.

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, कोरोना वायरस बार-बार अपना रूप बदल रहा है. उसके इस नए-नए वैरिएंट से लोग हैरान हैं. वह बहुत बड़ा छलिया है. अल्फा और डेल्टा के बाद ओमिक्रॉन आ गया. विश्व का एकमात्र सुपरपावर अमेरिका भी इस महामारी के पावर के सामने कमजोर पड़ गया.’’

    हमने कहा, ‘‘जहां तक कोरोना के बदलते रूप-रंग की बात है, उसे कोई नहीं कह सकता- रूप तेरा मस्ताना, प्यार मेरा दीवाना! उसकी यह कहकर भी तारीफ नहीं की जा सकती- रूप तेरा ऐसा दर्पण में न समाए! इस वायरस का कोई स्वरूप नहीं है, बल्कि यह बेहद कुरूप है.’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, आपने रूप बदलने वाले दानवों या राक्षसों के किस्से पढ़े या सुने होंगे. दुर्गा देवी से लड़ने वाला महिषासुर भी ऐसा ही था. वह रूप बदल-बदल कर लड़ता था. जब उसने भैंसे का रूप लिया तो देवी ने उसे मार गिराया. पूतना भी जब श्रीकृष्ण को मारने के लिए आई थी तो पहले उसने सुंदर स्त्री का रूप लिया था लेकिन मरने के बाद उसका असली भयानक रूप सामने आ गया था. शूर्पणखा भी सुंदरी का रूप लेकर आई थी. जब वह सीता पर हमला करने दौड़ी तो लक्ष्मण ने उसके नाक-कान काट डाले. उसका भी राक्षसी रूप तब सामने आया था.’’

    हमने कहा, ‘‘कोरोना वायरस न पूरी तरह सजीव है, न निर्जीव. वह अपनी विस्तारवादी प्रवृत्ति की वजह से फैलता चला जाता है. जैसे दुश्मन अचानक आक्रमण करता है वैसे ही वायरस संक्रमण फैलाकर मानवों पर हमला करता है. चाहे ओमप्रकाश हो या ओमशंकर, ओमिक्रॉन किसी की भी शान में गुस्ताखी कर सकता है. लोग पहले नदी या समुद्र की लहरों के बारे में जानते थे, मौसम की शीतलहर और ग्रीष्म लहर के बारे में सुनते थे लेकिन अब सारी दुनिया कोरोना की तीसरी लहर को लेकर चिंतित है. ऐसी हालत में मास्क, सैनिटाइजर का इस्तेमाल न्यू नार्मल हो गया है. हाथ मिलाना छोड़ लोग कुहनी मिलाने लगे हैं. संगीत प्रेमी यदि कोरोना की लहर से घबरा जाएं तो तसल्ली के लिए गुलाम अली की गजल सुनें- दिल में इक लहर सी उठी है अभी, कोई ताजा हवा चली है अभी.’’