nishanebaaz-Only finds, does not lose anything, officers and leaders have no religion

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, पंजाब में कांग्रेस ने एक विचित्र मुद्दा उठाया है कि चीफ सेक्रेटरी, डीजीपी और एडवोकेट जनरल में से कोई भी सिख नहीं है. ये सारे पद हिंदुओं को दिए गए हैं. इसके जवाब में बीजेपी प्रवक्ता ने सवाल किया कि 1966 से लेकर आज तक पंजाब में कोई हिंदू मुख्यमंत्री क्यों नहीं बना?’’

    हमने कहा, ‘‘धर्म के नाम पर ऐसी सियासत करने में कोई तुक नहीं है. लोग अपने कर्म से आगे बढ़ते है, धर्म से नहीं! सच पूछा जाए तो अफसरों और नेताओं का कोई धर्म नहीं होता. वह हवा के रुख के साथ चलते हैं. नेता की ख्वाहिश रहती हे कि वह मदारी के समान डुगडुगी बजाए और जनता उसकी ओर खिंची चली आए. हिंदू और सिख की बात करनेवाले जो भी नेता हैं, वे वोटों की राजनीति कर रहे हैं. जहां तक अफसरों की बात है, वे मानकर चलते हैं कि मंत्री या नेता तो सिर्फ भाषणबाजी या घोषणाएं करते हैं, सरकार के पॉवर का असली इस्तेमाल यदि कोई करता है तो सिर्फ अफसर! अफसर खुद को परमानेंट मानता है और मंत्री को टेम्पररी. जैसी सरकार आती है, अफसर खुद को उसके अनुकूल ढाल लेते हैं. उनकी नीति यही रहती है कि गंगा गए गंगादास, जमुना गए जमुनदास!’’

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, जब धूर्त मंत्री और चालाक अफसर आपस में हाथ मिला लेते हैं तो बड़े-बड़े घोटाले हुआ करते हैं. अफसर हमेशा अकड़ और रूतबा दिखाने में आगे रहता है जबकि नेता किसी बगुला भगत से कम नहीं होता. ये लोग जनसेवा के नाम पर मेवा खाते हैं.’’

    हमने कहा, ‘‘लुभावने वादों की आंच पर स्वार्थ की रोटी सेंकनेवाले नेता आपको हर कही मिलेंगे. जनता भी जानती है कि जैसे नागनाथ वैसे ही सांपनाथ! उसके पास कोई विकल्प भी तो नहीं होता. जहां तक धर्म का मामला है, लोगों की भावना भड़काने के लिए उसे एक औजार की तरह इस्तेमाल किया जाता है. नेता और अफसर सिर्फ अपना कुर्सी-धर्म निभाते हैं.’’