पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, केंद्रीय विदेश एवं संस्कृति राज्यमंत्री मीनाक्षी लेखी (Meenakshi Lekhi) को केरल के कोझिकोड में विचित्र अनुभव आया। राइट विंग अर्थात दक्षिण पंथियों के युवा सम्मेलन में अपने भाषण के अंत में उन्होंने भारत माता की जय का नारा लगाया लेकिन लोगों ने न तो कोई प्रतिक्रिया दी, न तो नारा दोहराया। तब मीनाक्षी ने दोबारा यह नारा लगाया। जब फिर भी प्रतिसाद नहीं मिला तो मीनाक्षी ने युवाओं से पूछा कि क्या भारत उनकी मां नहीं है? जिसे भारत के बारे में बोलना शर्मनाक लगता है, उसे युवा सम्मेलन का हिस्सा बनने की जरूरत नहीं है। ’’
हमने कहा, ‘‘मीनाक्षी लेखी यदि यही नारा हिंदी प्रदेशों में लगातीं तो तुरंत अच्छा प्रतिसाद मिलता। केरल में वामपंथी प्रभाव है, साथ ही युवाओं की सोच भौतिकवादी है। केरल के अधिकांश युवा नौकरी के लिए खाड़ी देशों में चले जाते हैं और वहां से अपने परिवारों को पैसा भेजते हैं। ’’
पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, कुछ भी हो, भारत माता की जय बोलनी ही चाहिए। एआर रहमान जैसे संगीतकार ने गाया था- मां तुझे सलाम! मातृभूमि का न मन और वंदन अवश्य करना चाहिए। राष्ट्रीय भावना का विशिष्ट महत्व है। इसीलिए कहा गया था कि इस देश में रहना होगा तो वंदे मातरम कहना होगा। ’’
हमने कहा, ‘‘कांग्रेस के नेताओं ने हमेशा ‘जय हिंद’ का नारा लगाया जो कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस ने दिया था। भारत माता की जय के नारे को लोग आरएसएस और बीजेपी से जोड़ते हैं। केरल में बीजेपी का प्रभाव नहीं जैसा है शायद इसीलिए मीनाक्षी लेखी के नारे को प्रतिसाद नहीं मिल पाया। युवाओं को समझना चाहिए कि केवल भौतिक सुख-सुविधा जुटा लेना जीवन का उद्देश्य नहीं है, मातृभूमि के प्रति अटूट प्रेम भी होना चाहिए। भगवान राम ने भी लक्ष्मण से कहा था- जननी जन्मभूमिश्च स्वार्गदपि गरीयसी अर्थात मेरे लिए मातृभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर श्रेष्ठतम है। ’’