राजनीति का चारागाह हराभरा, हर्ज क्या है CM बने कोई मसखरा

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, ‘‘निशानेबाज, पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि आम आदमी पार्टी ने भगवंत मान को सीएम के चेहरे के रूप में पेश किया है जबकि मान एक कॉमेडियन हैं. पंजाब की जनता को कॉमेडी नहीं, गंभीरता चाहिए. उसे सीएम की कुर्सी पर कोई मसखरा नहीं चाहिए. इस बारे में आपकी क्या राय है?’’ 

    हमने कहा, ‘‘राजनीति के बोझिल माहौल को हल्का-फुल्का करने के लिए विदूषक भी तो चाहिए. पुराने राजा-महाराजा अपने दरबार में विदूषक रखा करते थे जो कुछ हंसी-दिल्लगी करे और वातावरण को खुशनुमा बनाए. अकबर के दरबार में बीरबल जैसे मजाकिया व हाजिरजवाब उनके नवरत्नों में शामिल थे. शेक्सपीयर के नाटकों में भी कोर्टजेस्टर या विदूषक की भूमिका मौजूद है. कितनी ही फिल्में गोप, जानीवाकर, महमूद, आगा, जगदीप, असरानी जैसे कामेडियन की वजह से चला करती थीं. 

    मोरारजी देसाई की जनता पार्टी सरकार में राजनारायण स्वास्थ्यमंत्री थे जो स्वभाव से मसखरे थे. इंदिरा गांधी को चुनाव में हराने का पुरस्कार राजनारायण को मंत्री पद के रूप में मिला था. वे उघाड़े बदन मालिश करवाते हुए प्रेस कांफ्रेंस लिया करते थे. राजनारायण ने अटलबिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी को दोहरी सदस्यता का मामला उठाया था जिस वजह से इन दोनों नेताओं ने देसाई की सरकार से इस्तीफा दे दिया था और जनता पार्टी टूट गई थी. इससे आप समझ जाइए कि कोई कॉमेडियन क्या-क्या गुल खिला सकता है.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, अमरिंदर सिंह ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोतसिंह सिद्धू के बारे में कहा कि ये दोनों पंजाब के लिए निकम्मे हैं. इस पर आपकी क्या प्रतिक्रिया है?’’ हमने कहा, ‘‘निकम्मा होने का भी बड़ा महत्व है. पीवी नरसिंहराव जब देश के प्रधानमंत्री थे तो कोई निर्णय नहीं लेते थे. वे कहते थे कि निर्णय नहीं लेने का निर्णय लेना भी एक कला है. वे मानते थे कि कोई भी समस्या ध्यान न देने पर अपने आप कमजोर होती चली जाती है. निकम्मेपन पर यह शेर भी आपने सुना होगा- इश्क ने ‘गालिब’ निकम्मा कर दिया, वरना हम भी आदमी थे काम के!’’