जहां पर सीमा, वहां विवाद गुजरात में शिंदे-बोम्मई मुलाकात

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    पड़ोसी ने हमसे कहा, निशानेबाज, महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद के बाद गुजरात में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और कर्नाटक के सीएम बसवराज बोम्मई के बीच पहली मुलाकात हुई. इस प्रथम भेंट को लेकर आपकी क्या राय है?’’ 

    हमने कहा, ‘‘इस फर्स्ट मीटिंग को किसी तीसरे राज्य में करने की क्या आवश्यकता थी? या तो बोम्मई को मुंबई बुला लेना था या फिर शिंदे को बेंगलुरू चले जाना चाहिए था. वैसे मुलाकात शब्द को लेकर पुराने जमाने की अभिनेत्री व गायिका सुरैया का फिल्मी गाना है- चुप-चुप खड़े हो जरूर कोई बात है, पहली मुलाकात है जी, पहली मुलाकात है. एक अन्य गीत है- राहों में उनसे मुलाकात हो गई, जिससे डरते थे, वही बात हो गई.’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज, यदि बसवराज कर्नाटक से महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई आते तो उनसे मराठी में कहा जा सकता था- या बसराज इथे बसा अर्थात आइए बसवराज यहां बैठिए. मुंबई में वड़ा-पाव और नींबू पानी से उनका अतिथ्य किया जा सकता था. गुजरात में शिंदे और बोम्मई के बीच सीमा विवाद पर क्या चर्चा हुई होगी?’’ 

    हमने कहा, ‘‘पहली बात तो यह कि शिंदे और देवेंद्र फडणवीस के अलावा बोम्मई गांधीनगर पहुंचे थे. गांधी के नगर में विवाद का सवाल ही नहीं उठता. देवेंद्र और बोम्मई एक ही पार्टी के हैं. दोनों ने मिलकर भाजपा के भजन गाए होंगे. ये नेता भूपेंद्र पटेल के शपथग्रहण में गए थे. वहां शिवराजसिंह चौहान और हिंमत बिस्व सरमा जैसे बीजेपी मुख्यमंत्रियों की महफिल जमी थी. वहां सीमा विवाद का अप्रिय मुद्दा छेड़ने में कोई तुक नहीं था. आपको बलराज साहनी की पुरानी फिल्म ‘सीमा’ का गीत याद होगा- कोई न जाने कहां है सीमा, उलझन आन पड़ी!’’ 

    पड़ोसी ने कहा, ‘‘निशानेबाज जहां भी सीमा है वहां बॉर्डर डिसप्यूट हमेशा बना रहता है. बीजेपी नेताओं का दावा है कि चीन इस मुद्दे पर मोदी की लाल आंख देखकर डर जाता है. मोदी देश को आश्वस्त करते हैं कि न कोई घुसा था न कोई घुसा हुआ है. देशवासी यकीन कर लेते हैं क्योंकि मोदी हैं तो मुमकिन है. उनका 56 इंच का सीना गुजरात में जीत के बाद 156 इंच का हो गया है. उनकी बातों पर कौन लद्दाख की ठंड में चेक करने जाएगा!’’ 

    हमने कहा, ‘‘यदि महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद की बात करें तो उन्होंने इस संकट को दूर करने के लिए बातचीत करने पर जोर दिया. दोनों नेताओं ने दोनों तरफ से बयानबाजी नहीं करने पर भी सहमति जताई. विवाद को लेकर कोई लफड़ा करने की बजाय नेताओं ने ढोकला और फरसाण और फाफड़ा खाना पसंद किया होगा.’’