2012 series against England was the turning point for me: Ashwin
आर अश्विन (File Photo)

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धर्मशाला: भारत के सीनियर आफ स्पिनर रविचंद्रन अश्विन (Ravi Ashwin) ने मंगलवार को कहा कि इंग्लैंड के खिलाफ 2012 की श्रृंखला (IND vs ENG Series)  उनके कैरियर का निर्णायक मोड़ थी क्योंकि उससे मिली सीख से ही वह ऐसे गेंदबाज बन सके जोकि आज वह हैं। इंग्लैंड ने वह श्रृंखला 2.1 से जीती थी जो भारत में 1984.85 के बाद श्रृंखला में उसकी पहली जीत थी। 

अश्विन उस श्रृंखला में अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सके और एलेस्टेयर कुक तथा केविन पीटरसन ने उन्हें आराम से खेला। बारह बरस बाद अश्विन ने उस श्रृंखला को अपने कैरियर का निर्णायक मोड़ बताया। अश्विन ने अपने सौवे टेस्ट मैच से पहले प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘इंग्लैंड के खिलाफ 2012 की श्रृंखला मेरे लिये निर्णायक मोड़ थी। इसने मुझे बताया कि मुझे कहां सुधार करना है।”  

उन्होंने कहा, ‘‘कुक ने यहां आकर आसानी से रन बनाये। उस पर काफी बात हुई लेकिन मेरे लिये वह श्रृंखला और उसके बाद आस्ट्रेलिया के खिलाफ श्रृंखला ने बहुत कुछ बदला। मेरे टीम से बाहर रहने पर काफी बात हुई। मैने पहले अच्छा खेला था तो मुझे समझ में नहीं आया कि ऐसा क्यो हुआ।” अश्विन ने चार टेस्ट में 14 विकेट लिये थे। उन्होंने कहा, ‘मेरे बारे में कई लेख लिखे गए और इसने मुझे सोचने पर मजबूर किया कि कहां गलती हुई । यह सबक मुझे हमेशा याद रहा।”  

इंग्लैंड के खिलाफ यहां सात मार्च से शुरू हो रहे पांचवें और आखिरी टेस्ट के जरिये अश्विन अपने कैरियर के सौ टेस्ट पूरे करेंगे। उन्होंने इस बारे में कहा, ‘‘यह बड़ा मौका है। गंतव्य से ज्यादा सफर खास रहा है। मेरी तैयारी में इससे कोई बदलाव नहीं आया है। हमें टेस्ट मैच जीतना है।” कैरियर के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, ‘‘बर्मिंघम में 2018.19 में मेरे टेस्ट कैरियर का सर्वश्रेष्ठ स्पैल रहा। मैने दोनों पारियों में गेंदबाजी की । तीसरे दिन सुबह गेंदबाजी करके तीन विकेट लिये।”  

उन्होंने कहा, ‘‘मैने मैच में सात विकेट लिये और टीम को जीत के करीब ले गया था लेकिन हम वह मैच जीत नहीं सके।” भारत वह मैच 31 रन से हार गया था। अश्विन ने कहा, ‘‘उसके बाद बेंगलुरू में टेस्ट मैच था जिसमें मैने दूसरे दिन सुबह गेंदबाजी की। सेंचुरियन में 2018.19 में पहले दिन चार विकेट लिये। ये स्पैल खास रहे।” हाल ही में 500 टेस्ट विकेट पूरे करने वाले अनिल कुंबले के बाद दूसरे भारतीय गेंदबाज बने अश्विन ने 2011 में टेस्ट क्रिकेट में पदार्पण किया था।   

रविंद्र जडेजा की बल्लेबाजी बेहतर होने के कारण उन्हें विदेश में अक्सर तरजीह मिलती रही लेकिन अश्विन ने कहा कि अब उन्हें अतीत से कोई गिला नहीं। उन्होंने कहा, ‘‘अच्छा प्रदर्शन करने पर खेलने का मौका नहीं मिलने से दुख होता है लेकिन हालात से समझौता करना ही होता है क्योंकि टीम के हित में फैसले लिये जाते हैं । कोई कप्तान या खिलाड़ी किसी ऐसे खिलाड़ी को बाहर नहीं रखना चाहता जो उस मैच में उन्हें उपयोगी लगता हो।”  

उन्होंने कहा, ‘‘रविंद्र जडेजा अच्छा बल्लेबाज है और उसका औसत मुझसे बेहतर है। इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका की पिचों पर सिर्फ गेंदबाजी के आधार पर ही चयन नहीं होता।” इतने साल में अपने परिवार के बलिदानों का जिक्र करते हुए अश्विन भावुक हो गए। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी याददाश्त अच्छी होने से लोगों को लगता है कि आंकड़े मेरे लिये बहुत मायने रखते हैं जबकि ऐसा है नहीं। मेरे लिये इसके कोई मायने नहीं है लेकिन मेरे पापा के लिये, मम्मी और पत्नी के लिये है। मेरी बेटियां मुझसे ज्यादा रोमांचित है।” उन्होंने कहा, ‘‘यह महज एक आंकड़ा है। जहीर खान सौ टेस्ट नहीं खेल सके। महेंद्र सिंह धोनी भी नहीं।” 

(एजेंसी)