गरीबी में गुजरा था ‘डिएगो माराडोना’ का बचपन, अब बन रही जीवन पर आधारित बायोपिक

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    नई दिल्ली: अर्जेंटीना के महान फुटबॉलर डिएगो माराडोना (Diego Maradona) का आज यानी 30 अक्टूबर को जन्मदिन है। वह फुटबॉल में बहुत बड़े चैंपियन थे। माराडोना (Diego Maradona Birthday) को ‘फीफा प्लेयर ऑफ द सेंचुरी’ (FIFA Player of The Century) से भी नवाजा जा चुका है। उन्होंने बहुत कड़ी मेहनत कर इस मुकाम तक पहुंचे थे। वह बेहद गरीब परिवार से ताल्लुक रखते थे। ऐसे में उनका बचपन बहुत से संघर्षों के बीच गुजरा था। इस महान फुटबॉलर का जन्म ब्यूनस आयर्स के लानुस में एक गरीब परिवार में हुआ था।

    3 साल की उम्र में फुटबॉल से हुआ यार         

    माराडोना (Diego Maradona) ब्यूनस आयर्स की झुग्गी-झोपड़ी में रहते थे। माराडोना की मां साल्वाडोरा फ्रेंको और पिता डॉन डिएगो को 3 बेटियों के बाद पहला बेटा हुआ था। माराडोना का परिवार 8 भाई-बहनों वाला हो गया था। माराडोना जब 3 साल के थे, तब उनके भाई ने उन्हें एक फुटबॉल गिफ्ट की थी। माराडोना (Diego Maradona) को फुटबॉल इतनी पसंद आई की वह 6 महीने तक उस फुटबॉल को अपने शर्ट के भीतर रखकर ही सोते थे। यही से माराडोना को फुटबॉल से प्यार हो गया।

    यूं हुई प्रोफेशनल करियर की शुरुआत

    माराडोना 10 साल की उम्र में रोजा एस्ट्रेला क्लब के लिए खेलना शुरू किया था। इसी क्लब की तरफ से खेलते समय अर्जेंटीनोस जूनियर्स के छोटे से क्लब ने माराडोना की स्किल्स को पहचाना। उन्हें लॉस केबोलिटास ने भी चुना। लेकिन, 12 साल की उम्र तक उन्होंने बॉल ब्वॉय का ही काम किया। इसके बाद उन्होंने 15 साल की उम्र में अर्जेंटीनोस जूनियर्स के लिए खेलना शुरू किया। यही से उनके प्रोफेशनल करियर की शुरुआत हुई  साल 1981 में माराडोना (Diego Maradona) को बोका जूनियर्स क्लब ने साइन किया। इसके बाद साल 1982 में माराडोना ने बोका जूनियर्स की तरफ से खेलते हुए पहला मेडल हासिल किया।

    1977 में नेशनल टीम में हुए शामिल 

    माराडोना (Diego Maradona) को खेलते हुए देख सभी लोग खुश हो जाते थे। उनका खेल दर्शकों को बेहद पसंद आता था। उन्होंने लगातार अपना बेहतरीन प्रदर्शन दिया था। इसके बाद माराडोना के टैलेंट को देखते हुए उन्हें साल 1977 में नेशनल टीम में शामिल किया गया। हालांकि साल 1978 में खेला गया वर्ल्ड कप में उन्हें शामिल नहीं किया गया। दरअसल, उन्हें टीम में ये कहकर शामिल नहीं किया गया कि वे अभी बच्चे हैं। अर्जेंटीना ने यह वर्ल्ड कप अपने नाम कर लिया था।

    हैंड ऑफ गॉड गोल 

    माराडोना  (Diego Maradona) ने 4 फीफा वर्ल्ड कप टूर्नामेंट खेले। जिसमें साल 1986 का विश्व कप शामिल था। साल 1986 वर्ल्ड कप में माराडोना अर्जेंटीना के कप्तान भी थे। अर्जेंटीना और इंग्लैंड के बीच क्वार्टर फाइनल मुकाबला था। इस मुकाबले में माराडोना ने दो गोल किए थे। वर्ल्ड कप जीतने के बाद डिएगो माराडोना (Diego Maradona) ने कहा था कि यह गोल थोड़ा मेरे सिर और थोड़ा भगवान के हाथ से छुआ था। माराडोना के इस बयान के बाद इस गोल को’ हैंड ऑफ गॉड’ कहा गया।

    फिदेल कास्त्रो को दूसरा पिता मानते थे

    डिएगो माराडोना (Diego Maradona) क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो को अपना दूसरा पिता मानते थे। यह संयोग की बात है कि, जिस दिन कास्त्रो का निधन हुआ, उसी दिन माराडोना ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया। कास्त्रो का निधन 25 नवंबर 2016 को हुआ था। माराडोना 4 दिसंबर 2016 को कास्त्रो के अंतिम दर्शन के लिए क्यूबा भी पहुंचे थे।

    दुनिया को कहा अलविदा 

    पेले के साथ दुनिया के सर्वश्रेष्ठ फुटबॉलरों में गिने जाने वाले माराडोना का निधन 25 नवंबर 2020 में 60 वर्ष की उम्र में हुआ था। वह लंबे समय से वह कोकीन की लत और मोटापे से जुड़ी कई परेशानियों से जूझ रहे थे। उनकी मृत्यु होने के बाद अर्जेंटीना में तीन दिन के राष्ट्रीय शोक की घोषणा भी की गई थी। 

    बन रही बायोपिक 

    डिएगो माराडोना के निधन के एक साल बाद उनके जीवन पर आधारित एक बायोपिक (जीवनी) श्रृंखला के शुरुआती भाग का अर्जेंटीना टीवी पर प्रसारण से पहले यहां के जूनियर्स स्टेडियम में प्रीमियर हुआ। यह वही स्टेडियम है, जहां एल डिएज (मैराडोना) ने अपने पेशेवर करियर की शुरुआत 1970 के दशक के मध्य में की थी।