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    नयी दिल्ली: राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला जिम्नास्टिक दीपा कर्माकर (Dipa Karmakar) आज अपना 29वां जन्मदिन मना रही हैं। दीपा ने रियो ओलंपिक में जिमनास्टिक के फाइनल में जगह बनाकर इतिहास रच दिया था। क्योंकि वे ऐसा कर पाने वाली पहली भारतीय महिला हैं। 

    दीपा को जिमनास्टिक में अद्वितीय प्रदर्शन के लिए प्रतिष्ठित अर्जुन पुरस्‍कार से सम्‍मानित किया जा चुका है। दीपा कर्माकर ने 2014 ग्लासगो कॉमनवेल्थ गेम्स में कांस्य पदक जीता और मल्टी-स्पोर्ट इवेंट में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला और देश की दूसरी जिमनास्ट बनीं। 

    दीपा कर्माकर (Dipa Karmakar) का जन्म 9 अगस्त 1993 को त्रिपुरा के अगरतला में हुआ था। उनके पिता दुलाल कर्माकर साईं में वेट लिफ्टिंग कोच है और उनकी माता एक कुशल गृहणी है। दीपा की एक और बहन पूजा भी हैं। दीपा के पिता भारत के सबसे अच्छे वेटलिफ्टर कोच में से एक है। कहा जाता है कि दुलाल जी ने ही अपनी बेटी की क्षमता और जिमनास्ट के प्रति लगाव को सबसे पहले जाना था। इसी के चलते उन्होंने उसे मात्र 6 साल की उम्र से इसकी कठिन ट्रेनिंग देनी शुरू कर दी थी। दीपा अपनी माँ के भी करीब है, वे उन्हें अपना लकी चार्म मानती है।

     
     
     
     
     
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    दीपा जब 6 साल की थी, तभी से उनके पिता ने उसे जिम्नास्ट बनाने का फैसला लिया। लेकिन इसमें एक दिक्कत थी। दीपा (Dipa Karmakar) के पैर के तलवे सपाट थे। ऐसे में दीपा के लिए एक एथलीट के लिए तौर पर पैर जमाना, भागना या कूदना उतना आसान नहीं होता है। इस खेल में पैरों में घुमाव लाना भी असंभव होता है। इसके बावजूद दीपा की इसे सिखने की जिद थी। उन्होंने कड़ी मेहनत की और अपना सपना पूरा किया। 

     
     
     
     
     
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    दीपा के पिता ने उसे अगरतला के विवेकानंद जिम में ट्रेनिंग के लिए भेज दिया। लेकिन इस जिम में ढंग के इक्विपमेंट तक उन्हें हासिल नहीं थे।वहाँ बैलेंस बीम, कारपेटेड फ्लोर और वॉल्टिंग टेबल भी नहीं थी। मैट लगाकर वॉल्ट की तैयारी करनी पड़ती थी। जिम में बारिश के दिनों में पानी भर जाता था।

    दीपा (Dipa Karmakar) को अपना सपना पूरा करने के लिए कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। वहीं, दीपा ने हर समस्याओं से पार पाते हुए 2007 में जलपाईगुड़ी में जूनियर नेशनल्स जीता। 2007 से दीपा ने राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में कुल 77 पदक जीते हैं, जिनमें से 67 स्वर्ण पदक हैं।

    दीपा ने 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में कांस्य पदक जीता, खेलों के इतिहास में ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला जिमनास्ट बनीं। 2015 में दीपा (Dipa Karmakar) विश्व कलात्मक जिमनास्टिक चैम्पियनशिप के अंतिम दौर के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट बनीं। दीपा कर्माकरओलंपिक में जिम्नास्टिक स्पर्धा के फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट हैं।

     
     
     
     
     
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    दीपा ने 2016 ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाली वे पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट हैं, और पिछले 52 वर्षों में ऐसा करने वाली वे प्रथम भारतीय, पुरुष अथवा महिला, जिम्नास्ट हैं।

    ओलंपिक में दीपा (Dipa Karmakar) केवल पांच महिलाओं में से एक बन गईं, जिन्होंने प्रोडुनोवा वॉल्ट या मौत की तिजोरी को सफलतापूर्वक उतारा। दीपा ग्लोबल जिम्नास्टिक इवेंट में गोल्ड मेडल जीतने वाली पहली भारतीय जिमनास्ट भी हैं। उसने 2018 FIG कलात्मक जिमनास्टिक वर्ल्ड चैलेंज कप में स्वर्ण पदक जीता। दीपा का नाम फोर्ब्स की 2017 में 30 साल से कम उम्र के एशिया के सुपर अचीवर्स की सूची में रखा गया था। 

     
     
     
     
     
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    उन्होंने अति कठिन माने जाने वाले प्रोदुनोवा वॉल्ट का सफल प्रदर्शन किया था, जिसे आज तक विश्व में गिनती की 5 जिम्नास्ट ही सफलतापूर्वक पूरा कर सकी हैं। भले ही दीपा (Dipa Karmakar) इसमें कोई पदक नहीं जीत पाई लेकिन इस उपलब्धि नें उन्हें भारतभर में प्रसिद्ध कर दिया। खेल में उनके योगदान के लिए, दीपा कर्माकरको 2016 में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार मिला और एक साल बाद उन्हें पद्म श्री से भी सम्मानित किया गया।