दिल्ली में जहरीली हवा को लेकर नासा का खुलासा, पटाखे नहीं कुछ और है कारण

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    नई दिल्ली: दिल्ली वालों को प्रदूषण से  (Delhi Pollution) राहत मिलती नहीं दिख रही है। वहीं दिल्ली में प्रदूषण  की असली वजह क्या है इसपर अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नवंबर की शुरुआत से आसमान धुंधला दिखना शुरू हो जाता है। इसकी असली वजह पराली का धुआं है। पंजाब हरियाणा के किसानों के लिए पराली जलाना इसे खतम करने का सबसे आसान तरीका हो सकता है। लेकिन इस वजह से नवंबर और दिसंबर महीने में भयानक प्रदूषण की स्थिति बनती है। 

    नासा ने किया ट्वीट

    नासा ने एक ट्वीट के साथ एक फोटो भी साझा की है। जिसमें दिखाया गया है कि कैसे पंजाब, हरियाणा में पराली जलने से दिल्‍ली में हवा जहरीली हो रही है। ट्वीट में दिखाए गए मैप में 31 अक्टूबर से लेकर 5 नवंबर बीच में पराली की आग को लाल रंग के स्‍पॉट से दिखाया गया है। मैप में दिखाए गए हालात चौंकाने वाले हैं। 

    सैटेलाइट इमेज के जरिए धुएं की वजह पहचानी

    अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने गौर किया की पंजाब और हरियाणा में परली जलाने  से उत्तर पश्चिम भारत की वायु प्रदूषित हो रही है। जिसकी वजह से एयर क्वालिटी ख़राब हो रही है।  रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया है कि नवंबर में पराली जलने के मामले बढ़ने से ऐसा होना शुरू हो जाता  है। इसे समझने के लिए नासा ने पंजाब, हरियाणा और दिल्‍ली की तरफ उठने वाले धुएं की सैटेलाइट इमेज ली गई। 

    एक वजह पाकिस्तान भी

    नासा ने कहा है कि, पाकिस्तान में पराली के कारण जलने वाली आग से निकला धुआं भी इस प्रदूषण को बढ़ाने का काम कर रहा है। वहीं नासा के मार्शल स्‍पेस फ्लाइट सेंटर में काम करने वाले पवन गुप्ता ने कहा, 11 नवंबर को जलाई गई पराई के कारण हुए धुएं से कम से कम 2.2  करोड़ लोग प्रभावित हुए हैं।

    25 गुना से अधिक प्रदूषण

    पिछले वर्षों की तरह, दिल्ली और उत्तरी भारत में अन्य जगहों पर सेंसरों ने वायु प्रदूषण के बढ़ते स्तर को दर्ज किया है। 11 नवंबर को दिल्ली में प्रदूषण फैलाने वाले बारीक कण PM2.5 और PM 10 का स्तर 400 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर था। जबकि विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिशानिर्देशों की सिफारिश है कि 24 घंटे का औसत पीएम2.5 सांद्रता 15 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से नीचे रखा जाना चाहिए।

    पंजाब मिले 74,000 हॉटस्पॉट

    पंजाब में पराली जलाने के 74,000 हॉटस्पॉट रिकॉर्ड किए गए। बता दें कि 2016 में पंजाब में ऐसे हॉटस्पॉट की संख्या 85000 थी। 2020 के तुलना में हरियाणा में हॉटस्पॉट की संख्या कम हुई है, लेकिन हरियाणा भी प्रदूषण को इस स्तर तक बढ़ाने के लिए जिम्मेदार है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश और राजस्थान से उठने वाला धुआं भी दिल्ली की तरफ बढ़ता है।

    गौरतलब है कि दिल्‍ली में स्मॉग के लिए  अकेली पराली ही जिम्मेदार नहीं है। इनमें औद्योगिक प्रदूषण, कचरा जलना, निर्माण से जुड़े कार्य, गाड़ियों से निकलने वाला धुआं भी शामिल हैं। जिनसे हवा में प्रदूषण के लिए जिम्‍मेदार बेहद बारीक कण PM पार्टिकल्स बढ़ते हैं, नतीजा प्रदूषण के स्तर बढ़ता है।