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    नयी दिल्ली: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) के विलय संबंधी विधेयक के अनुसार, दिल्ली में नगर निगमों के एकीकरण के बाद उनमें सीटों की संख्या 250 से अधिक नहीं होगी और जब तक विलय कानून के तहत निकाय की पहली बैठक आयोजित नहीं होती तब तक इसके कार्य की देखरेख के लिए एक विशेष अधिकारी को नियुक्त किया जा सकता है। 

    लोकसभा सदस्यों को बांटे गए दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक में यह भी कहा गया है कि 2011 में तत्कालीन दिल्ली नगर निगम का विभाजन क्षेत्रीय डिवीजनों और राजस्व सृजन क्षमता के मामले में “असमान” था।

    विधेयक में प्रस्ताव है कि विलय की गई निकाय में पार्षदों और अनुसूचित जाति के सदस्यों के लिए आरक्षित सीटों की कुल संख्या का निर्धारण केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में एक अधिसूचना के माध्यम से करेगी। यह विधेयक शुक्रवार को लोकसभा में पेश होने के लिए सूचीबद्ध है।

    विधेयक में कहा गया है, ‘‘निगम की स्थापना के बाद प्रत्येक जनगणना के पूरा होने पर, सीटों की संख्या उस जनगणना में निर्धारित दिल्ली की जनसंख्या के आधार पर होगी और केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित की जाएगी …।” बिल के प्रावधानों में से एक के अनुसार, विलय किए गए निकाय में सीटों की कुल संख्या ‘‘किसी भी स्थिति में दो सौ पचास (250) से अधिक नहीं होगी…।”

    वर्तमान में दिल्ली में तीन निगमों – उत्तर, दक्षिण और पूर्वी दिल्ली नगर निगमों में कुल 272 सीटें हैं। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को दिल्ली के तीनों नगर निगमों के विलय के विधेयक को मंजूरी दे दी थी।