MORBI
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    मोरबी: ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल को अदालत ने न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। इससे पहले उन्होंने पिछले साल झूलता पुल टूटने की घटना के संबंध में मंगलवार को मोरबी की एक अदालत में आत्मसमर्पण किया था। 

    उल्लेखनीय है कि, 27 जनवरी को पुलिस द्वारा दाखिल आरोप पत्र में ओरेवा समूह के निदेशक जयसुख पटेल को एक आरोपी के रूप में नामजद किया गया था। उन्होंने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत के सामने आत्मसमर्पण कर दिया, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था। 

    जारी हुआ था गिरफ्तारी वारंट

    मामले में पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील दिलीप अगेचानिया ने कहा, ‘‘जयसुख पटेल ने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (सीजेएम) एम जे खान की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जिसने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था।” 

    1,200 से अधिक पन्नों के चार्ज शीट

    अदालत में पुलिस द्वारा दाखिल 1,200 से अधिक पन्नों के चार्ज शीट में, पटेल का जिक्र दसवें आरोपी के रूप में किया गया था। उन्होंने गिरफ्तारी की आशंका के मद्देनजर अग्रिम जमानत याचिका भी दायर की थी। 

    पुल गिरने से हुई थी 135 लोगों की मौत

    गौरतलब है कि, मोरबी शहर में पिछले साल अक्टूबर में एक झूला पुल गिरने से 135 लोगों की मौत हो गई थी और कई अन्य लोग घायल हो गए थे। आरोप पत्र में नौ गिरफ्तार किए जा चुके आरोपियों के अलावा ओरेवा समूह के प्रबंध निदेशक जयसुख पटेल का नाम दसवें आरोपी के तौर पर शामिल किया गया था। पटेल सहित सभी दस आरोपियों पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या), 308 (गैर इरादतन हत्या का प्रयास), 336 (मानव जीवन को खतरे में डालने वाला कार्य), 337 (उतावलापन या लापरवाही वाला कृत्य करके किसी भी व्यक्ति को चोट पहुंचाना) और 338 (उतावलेपन या लापरवाही से कार्य करके गंभीर चोट पहुंचाना) के तहत मामले दर्ज किए गए हैं।