नई दिल्ली/जबलपुर. यक़ीनन एक प्यासे को पानी पिलाना इस दुनिया में सबसे बड़ा पुण्य और धर्म का काम माना जाता है। वहीं ऐसे बहुत से लोग गर्मी में प्याऊ लगवाकर यह सेवा देते हैं। लेकिन आज हम आप को जबलपुर के वाटरमैन (WATERMAN)की कहानी बताने जा रहे हैं। वाटरमैन (WATERMAN)इसीलिए क्योंकि यह शख्स बीते 26 सालों से अपनी साइकिल पर घूम-घूमकर निरंतर लोगों को पानी पिलाकर उनकी प्यास बुझा रहा है।
इतना ही नहीं भयंकर और भीषण गर्मी में भी यह 68 साल के ‘युवा’ शंकरलाल सोनी (Shankar Lal Soni) के पैर थकान से बिल्कुल डगमगाते नहीं हैं और वे अपनी साधारण सी साइकिल पर सवार होकर रोजाना सैकड़ों लोगों की प्यास भुझाने निकल पड़ते हैं। इसके साथ-साथ वो ही लोगों को पानी बचाने का जरुरी संदेश भी देते हैं।
शंकरलाल सोनी: एक चलता-फिरता प्याऊं
जी हाँ, शंकरलाल सोनी सच में एक चलता-फिरता प्याऊं ही तो हैं जो साइकिल पर अपनी पानी की छागल (WATER BAG) लेकर बीते 26 साल से अपना चलता-फिरता प्याऊं चला रहे हैं। वहीं प्यासे को पानी पिलाने का उनका यह पुनीत संकल्प कठिन से कठिन मौसम में भी नहीं डिगता।जबलपुर निवासी शंकरलाल सोनी की दिनचर्या बीते 26 सालों से ऐसी ही चलती आ रही है। जहाँ तापमान 44-45 डिग्री के ऊपर होता है और लोग घर से बाहर निकलना भी पसंद नहीं करते, वहीं ऐसी तपती दोपहरी में भी शंकरलाल लोगों की प्यास बुझाने से नहीं बिल्कुल भी परहेज नहीं करते।
#WATCH Shankarlal Soni, ‘Waterman of Jabalpur’ provides drinking water for free to people
I’ve been doing this for last 26 yrs. I carry 18 water storage bags along with water bottles. Each storage bag has about 5 ltr of water. I refill them thrice a day, he says.#MadhyaPradesh pic.twitter.com/MM3u9zuaBj
— ANI MP/CG/Rajasthan (@ANI_MP_CG_RJ) May 4, 2022
शंकरलाल रोज सुबह अपनी साइकिल से नर्मदा नदी जाते है, वहां से वो करीब 100 लीटर पानी अपनी छागलों में भरकर लोगों की प्यास बुझाने निकल पड़ते हैं। जब यह पानी खत्म हो जाता है तो फिर वो एक बार वापस नर्मदा का साफ पानी लेकर लोगों की प्यास बुझाने का अपना मानवता का काम शुरू कर देते हैं।
क्यों लोगों को पानी पिलाते हैं शंकरलाल सोनी
वैसे पेशे से समाचार पत्र विक्रेता शंकरलाल बताते हैं कि वह रोजाना करीब 400 लीटर पानी लोगों को पिला देते हैं। इसके एवज में वह किसी से भी एक पैसा नहीं लेते। यह सिलसिला बीते 26 साल पहले शुरू हुआ था, जो आज भी निरंतर जारी है। अपने इस कार्य को लेकर शंकरलाल का कहना है कि इस काम से लोगों की प्यास तो बुझती है और वहीं उन्हें भी उन्हें आत्मिक सुकून मिलता है और एक सुखद अनुभूति होती है।
गौर से देखें तो शंकरलाल की साइकिल पर भी दोनों तरफ तख्तियां लगी हुई हैं। उस पर चलता-फिरता प्याऊ लिखा हुआ है। वहीं शंकरलाल के इस पुनीत कार्य पर लोगों का कहना है इस भीषण गर्मी में जहां प्रशासन को जगह-जगह प्याऊ बनाना चाहिए और ठंडे पानी की व्यवस्था करनी चाहिए, ऐसे में ये जिम्मेदारी एक बुजुर्ग “युवा” शख्स अपने कंधों पर लेकर चल रहा है, जो वाकई काबिले तारीफ और सिखने लायक है। आज शंकरलाल कि ये अनोखी और क्रन्तिदायक पहल दूसरे लोगों को भी ऐसा ही कुछ महँ कार्य करने को प्रेरित कर रही है।